22 November 2017

1996 - 2000 दिल प्यार जिंदगी याद पनाह दुनियाँ इम्तहान किताब मेहमान उलझन गम दर्द दवा जुदा शायरी


1996
जाना कहा था और कहा आ गए,
दुनियाँमें बनकर मेहमान आ गए,
अभी तो प्यारकी किताब खोली ही थी,
और ना जाने कितने इम्तहान आ गए...

1997
गमने हसने न दिया, ज़मानेने रोने न दिया!
इस उलझनने चैनसे जीने न दिया...
थकके जब सितारोंसे पनाह ली,
नींद आई तो उनकी यादने सोने न दिया !!!

1998
दर्द भी तुम दवा भी तुम,
इबादत भी तुम खुदा भी तुम,
चाहा भी तुमको और पाया भी नही,
जुदा भी तुम और साथ भी तुम...

1999
तकदीर लिखने वाले एक एहसान कर दे,
मेरे प्यारकी तकदीरमें मुस्कान लिख दे,
ना मिले जिंदगीमें कभी भी दर्द उसको,
चाहे उसकी किस्मतमें मेरी जान लिख दे।

2000
तुझे भूलकर भी न भूल पायेगें हम !
बस यही एक वादा निभा पायेगें हम !!
मिटा देंगे खुदको भी जहाँसे लेकिन !!!
तेरा नाम दिलसे न मिटा पायेगें हम !!!!

No comments:

Post a Comment