22 August 2018

3201 - 3205 दिल प्यार इश्क दर्द हसीन चेहरे सज़दा इज़हार इश्क़ खामोश आँख अल्फाज हसीन चेहरे शायरी


3201
वो सज़दा ही क्या,
जिसमें सर उठानेका होश रहे...
इज़हारे इश्क़का मज़ा तो तब हैं,
जब मैं खामोश रहूँ और तू बैचेन रहे...!

3202
पढलु ना दिलका दर्द कहीं,
अल्फाज बदल लेते हो तुम;
आँखोंमें नमीं जाए तो,
आवाज बदल लेते हो तुम...
गुलजार

3203
लोग सौ रंग बदलते हैं,
हसीन चेहरेको लुभानेके लिए;
और हम हसीन चेहरे बहाते हैं,
एक चेहरेको भुलानेके लिए...

3204
अब ये पूछना की,
ये अल्फ़ाज़ कहाँसे लाता हूँ...
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरोंके,
कुछ अपना हाल सुनाता हूँ.......

3205
इश्कका रंग,
और भी गुलनार हो जाता हैं...!
जब दो शायरोको,
एक दूसरेसे प्यार हो जाता हैं.......!

21 August 2018

3196 - 3200 जिदंगी सुलह तलब पत्थर फर्क रंग तक़दीर तस्वीर कुबूल ज़माने दस्तूर इल्जाम लहजा शायरी


3196
कोई सुलह करा दे,
जिदंगीकी उलझनोसे;
बड़ी तलब लगी हैं आज,
मुस्कुरानेकी.......!

3197
पत्थर समझके,
हमें मत ठुकराओ;
कल हम मंदिरमें,
भी हो सकते हैं

3198
ज़िन्दगी तस्वीर भी हैं,
और तक़दीर भी,
फर्क रंगोका हैं...!
मनचाहे रंगोसे बने तो तस्वीर और,
अनजाने रंगोसे बने तो तक़दीर.......!

3199
हँसकर कुबूल क्या कर ली,
सजाए मैंने.......
ज़मानेने दस्तूर ही बना लिया,
मुझपर हर इल्जाम लगानेका.......!

3200
जरूरी नहीं कि कुछ तोडने केलिये,
पत्थर ही मारा जाए...
लहजा बदलकर बोलनेसे भी,
बहुत कुछ टूट जाता हैं.......

3191 - 3195 मोहब्बत आँख उम्मीद सफर यार किनारा सहारा मझधार इल्जाम साहील माँझी रहबर मजा डर कश्ती शायरी


3191
तूने ही किया था मुझे,
मोहब्बतकी कश्तीमें सवार...
अब आँखें फेर,
मुझे डूबता भी देख.......

3192
उम्मीदें तैरती रहती हैं,
कश्तीयाँ डूब जाती हैं...!
कुछ घर सलामत रहते हैं,
आँधिया जब भी आती हैं...!

3193
मोहब्बतकी कश्तीमें...
जरा सोच समझकर, 
सफर करना यारो;
ये जब चलती हैं,
तो किनारा नहीं मिलता...
और...
जब डूबती हैं तो,
सहारा नहीं मिलता.......

3194
कश्ती कोई डूबती हैं,
जब मझधारमें सहारा नहीं मिलता;
इल्जाम इसका हमेशासे ही,
लहरोंपे हैं लगता...
लहर तो अपनेही मस्तीमें अकेली चलती हैं,
साहीलसे मिलने...
उसे क्या पता...
कौनसी कश्तीका सहारा,
छोड़ दिया अपनोनें...!

3195
माँझी,  रहबर,  हकमें हवाएं...
हैं कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर हैं,
अलग ही मजा हैं फ़कीरीका अपना...
पानेकी चिंता खोनेका डर हैं.......!

19 August 2018

3186 - 3190 जिन्दगी मोहब्बत इश्क तारीफ अजनबी रिश्ते महसूस इंतेहा ख्वाहिश नफ़रत दर्द तसल्ली शायरी


3186
तुमको देखा तो,
मोहब्बत भी समझ आई;
वरना इस शब्दकी,
तारीफ ही सुना करते थे ।।

3187
हमें कहां मालूम था, 
इश्क होता क्या हैं... 
बस एक तुम मिले और,
जिन्दगी मोहब्बत बन गई...!

3188
हम ना अजनबी हैं ना पराये हैं,
आप और हम एक रिश्तेके साये हैं,
जब जी चाहे महसूस कर लीजिएगा,
हम तो आपकी मुस्कुराहटोंमें समाये हैं...!

3189
कम्बख्त बेइंतेहा इश्क़की,
ख्वाहिश तो नहीं तुझसे सनम...
तू नफ़रत ही कर मुझसे,
जहरीली ही सही...
तेरी नजरे मेरा दीदार तो करेगी...!

3190
दर्दका सबब,
बढ़ जाता हैं और भी;
जब आपके होते हुए भी,
गैर हमें तसल्ली देते हैं.......

3181 - 3185 जिन्दगी दिल मोहब्बत बिखरी नज़र किस्मत खामोश मौत राह कब्र शायरी


3181
कहाँ कहाँ से समेटु,
ज़िन्दगी तुझको...
जहाँ जहाँ देखु,
तू बिखरी नज़र आती हैं...।।

3182
कैसे छोड़ दूँ आखिर,
तुमसे मोहब्बत करना,
तुम किस्मतमें ना सही,
दिलमें तो हो.......!

3183
पता नहीं होशमें हूँ...
या बेहोश हूँ मैं...
पर बहूत सोच समझकर,
खामोश हूँ मैं.......!

3184
मौतने पुछा -
मैं आऊँगी तो, स्वागत करोगे कैसे...!
मैंने कहा -
राहमें फूल बिछाकर पूछुंगा...
कि आनेमें इतनी देर कैसे...?

3185
कब्रको देखके,
ये रंज होता हैं.......
के इतनीसी जगह पानेके लिए,
कितना जीना पड़ता हैं...!

18 August 2018

3176 - 3180 दिल प्यार आसमान तमन्ना कमाल फुर्सत रुतबा तकलीफ याद जनाजा क़र्ज़ सपने बेवफा दफन शायरी


3176
छू ना सकूं आसमान,
तो ना ही सही
आपके दिलको छूजाऊं,
बस इतनीसी तमन्ना हैं...!

3177
कमाल करता हैं,
तू भी दिल...
उसे फुर्सत नहीं,
और तुझे चैन नहीं.......!

3178
तेरी बेरुखीको भी रुतबा दिया हमने,
तेरे प्यारका हर क़र्ज़ अदा किया हमने;
मत सोचके हम भूल गए हैं तुझे,
आज भी खुदासे पहले याद किया हैं तुझे...!

3179
वो कह गये थे की,
अब कभी आएँगे;
रातको सपनोंमें आये थे...
झूठे कहींके.......!

3180
जनाजा मेरा उठ रहा था,
फिर भी तकलीफ थी उसे आनेमें;
बेवफा घरमें बैठी पूछ रही थी,
और कितनी देर हैं दफनानेमें...?

16 August 2018

3171 - 3175 रूबरू ग़ुरूर रिश्ते हैसियत तकलीफें नज़र अंदाज़ बर्दाश्त दर्द हिसाब शायरी


3171
रूबरू होनेकी तो छोड़िये...
गुफ़्तगूसे भी क़तराने लगे हैं'
ग़ुरूर ओढ़े हैं रिश्ते...
अपनी हैसियतपर इतराने लगे हैं...

3172
तकलीफें तो हज़ारों हैं,
इस ज़मानेमें...
बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे,
तो बर्दाश्त नहीं होता !

3173
कोई हमें भी सिखा दो
ये लफज़ों से खेलना,
हमारे पास भी
दर्द बे-हिसाब हैं !!!

3174
बहुत जीयें उनके लिए,
जिनको हम पसंद करते थे...
अब जीना हैं उनके लिए,
जो हमे पसंद करते हैं.......!

3175
मशहूर होनेका शौक,
किसे हैं.......
अपने ही ठीकसे पहचान लें,
काफी हैं.......!

15 August 2018

3166 - 3170 दिल मोहब्बत उल्फत जिंदगी जजबात तोहफा ख्याल मौत आँसू यकीन ऐतबार इंतज़ार अजीब शायरी


3166
रातको रातका...
तोहफा नहीं देते,
दिलको जजबातका...
तोहफा नहीं देते,
देनेको तो हम आपको,
चाँद भी देते,
मगर चाँदको चाँदका...
तोहफा नहीं देते...!

3167
बहुत चाहा उसको,
जिसे हम पा सके,
ख्यालोंमें किसी औरको ला सके...
उसको देखके,
आँसू तो पोंछ लिए,
लेकिन किसी औरको देखके,
मुस्कुरा सके...

3168
हमें तो उनसे मोहब्बत हैं,
मौतसे भी प्यार हैं,
उनपर पूरा यकीन और...
मौतपर पूरा ऐतबार हैं,
देखते हैं पहले कौन आता हैं,
मुझको दोनोंका इंतज़ार हैं...!

3169
अजीब रंगोमें गुजरी हैं,
मेरी जिंदगी...
दिलोंपर राज़ किया,
पर मोहब्बतको तरस गए.......


3170
खुदा करे की मेरी ल्फतमें,
तुम यूँ उलझ जाओ;
मैं तुमको दिलमें भी सोचूं,
तो तुम समझ जाओ.......!

14 August 2018

3161 - 3165 दिल जिंदगी वाकिफ़ उम्र दुनिया रिवाज आँसू मुस्कान बरदाश्त मय्य़त नाराज़ दीया शायरी


3161
उम्रभर सँवारते रहे,
खुदको जद्दो जहदसे;
आईना जिंदगीका कहता रहा,
'कमी अब भी हैं'...!!!

3162
कौन किसको दिलमें जगह देता हैं
पेड़ भी सूखे पत्ते गिरा देता हैं
वाकिफ़ हैं हम दुनियाके रिवाजोसे
दिलभर जाये तो हर कोही भुला देता हैं

3163
कैसे हो पायेगी...
अच्छे इंसानकी पहचान,
दोनो ही नकली हो गए हैं...
आँसू और मुस्कान.......!

3164
किसको बरदाश्त हैं,
खुशी आजकल दूसरोंकी;
लोग तो मय्य़तकी भीङ देखकर भी,
जल जाते हैं.......!

3165
नाराज़ ना होना कभी यह सोचकरकी,
काम मेरा और नाम किसी औरका हो रहा हैं;
यहाँ सदियोंसे जलते तो "घी और रुई" हैं,
पर लोग कहते हैं की "दीया" जल रहा हैं...!

13 August 2018

3156 - 3160 प्रेम इश्क प्यार मोहब्बत निर्धन पहेली उदासी इजहार हिस्से आँख हिसाब कर्ज़ मुश्किलें शायरी


3156
प्रेम अबूझ,
प्रेम पहेली;
इश्क निर्धन,
मोहब्बत अकेली.......!

3157
"अपनी उदासीयाँ,
तू मुझे दे दे...
तू मेरे हिस्सेका,
मुस्कुरा लिया कर...! "

3158
हमने तो कर दिया,
इजहारे इश्क सबके सामने...!
अब मसला आपका हैं,
खुलकर कीजिये, या आँखोंसे.......!


3159
मत कर हिसाब,
किसीके प्यारका;
कहीं बादमें तू खुद ही,
कर्ज़दार निकले.......!

3160
अब ढूढ़ रहे हैं वो मुझको,
भूल जानेके तरीके;
खफा होकर उसकी मुश्किलें,
आसान कर दी मैंने.......!