5 October 2018

3376 - 3380 दिल मोहब्बत आरजू बेवफा नसीब गजब खंजर बाँहोमें शायरी


3376
आरजू थी की तेरी,
बाँहोमें दम निकले...
लेकिन बेवफा तुम नहीं,
बदनसीब हम निकले...

3377
ले चल कहीं दूर मुझे,
तेरे सिवा जहाँ कोई ना हो...
बाँहोमें सुला लेना मुझको,
फिर कोई सवेरा ना हो.......

3378
गजबकी चीज होती हैं,
शायरी लिखना...
खुदके खंजरसे,
खुदकी खुदाई लिखना.......!

3379
गजबकी ख़रीददारी,
की उन्होंने हमसे;
वो हमारी बाँहोमें आये,
और हम बिक गए.......!

3380
ना ढूंढ मोहब्बत  बाजारोंमें,
ये कहीं बिकती नहीं;
ये रहती हैं दिलोंमें,
पर बेकदरोंको ये दीखती नहीं...!

4 October 2018

3371 - 3375 जिंदगी दर्द सनम शराब नक़ाब गुमराह नज़र सफ़र फासला महफ़िल क़यामत शायरी


3371
दर्द...
कुछ तो कम कर,
मैं तेरा...
रोजका ग्राहक हूँ.......

3372
मत रख बहते पानीमें,
अपने पाँव सनम...
के सारा दरीया,
शराब हो जायेगा.......!

3373
चुपचाप चल रहा था,
जिंदगीके सफ़रमें...
तुमपर नज़र पड़ी और,
मैं गुमराह हो गया.....!!!

3374
अगर देखनी हैं क़यामत तो,
चले आओ हमारी महफ़िलमें...
सुना हैं आज महफ़िलमें,
वो बेनक़ाब आनेवाली हैं.......!

3375
ठुकराया हमने भी,
बहुतोंको हैं... तेरी खातिर,
तुझसे फासला भी शायद...
उनकी बददुआओंका असर हैं...

3 October 2018

3366 - 3370 उम्मीद दामन कामयाबी मुसीबत याद मतलब आदतें शौक ख्वाब दौर पत्थर हौसला शायरी


3366
उम्मीदोंका दामन थाम रहे हो,
तो "हौसला" कायम रखना...
क्योकि...
जब नाकामियाँ "चरम" पर हों,
तो "कामयाबी" बेहद करीब होती हैं...!

3367
मुझे किसीको मतलबी,
कहनेका कोई हक़ नहीं;
मैं तो खुद अपने रबको,
मुसीबतोंमें याद करता हूँ !

3368
आदतें खराब नहीं,
शौक बस ऊंचे हैं...!
वरना ख्वाबकी,
इतनी औकात नहीं,
कि हम देखें,
और पूरा हो.......!

3369
तारीख हजार सालमें,
बस इतनीसी बदली हैं...
तब दौर पत्थरका था,
अब लोग पत्थरके हैं...!

3370
कैसे कह दूँ कि,
थक गया हूँ मैं;
जाने किस-किसका,
हौसला हूँ मैं.......!

2 October 2018

3361 - 3365 दिल दुनियाँ काश अक्सर रिश्ता नाम सब्र परदा हथेली इंतज़ार हैरत हैरान शायरी


3361
अक्सर पुछते हैं लोग,
किसके लिए लिखते हो;
अक्सर कहता हैं दिल,
"काश कोई होता..."

3362
कुछ रिश्तोंके नाम हीं होते...
और कुछ रिश्ते नामके ही होते हैं...!

3363
दुनियाँ समझ हीं हैं,
मैने परदा किया हैं...
सच ये हैं तुझे बसाके इन नैनोमें,
हमने तुझको दुनियाँसे छुपा लिया हैं...!

3364
बड़ी हैरतमें हैं,
मेरी हथेलीको देखनेवाले...
तेरे नामके सिवा और कुछ,
नजरही नहीं आता...!

3365
मैं खुद हैरान हूँ,
अपने सब्रका पहलू देखकर...
उसने याद करना छोड़ दिया,
मुझे इंतज़ार उसका आज भी हैं...!

1 October 2018

3356 - 3360 दिल इश्क ज़िंदगी पलक कदर आँसू दर्द रिश्ते तन्हाई आसान तबाही अरमान शायरी


3356
पलकोंमें आँसू और,
दिलमें दर्द सोया हैं,
हँसने वालोंको क्या पता,
रोनेवाला किस कदर रोया हैं...
ये तो बस वो ही जान सकता हैं,
मेरी तन्हाईका आलम,
जिसने ज़िंदगीमें...
किसीको पानेसे पहले खोया हो !

3357
आखिर किस कदर खत्म कर सकते हैं,  
हम उनसे रिश्ते...
जिनको सिर्फ महसूस करनेसे,
हम दुनियाँ भूल जाते.......!

3358
आसान  कदर हैं,
समझ लो मेरा पता...
बस्तीके बाद पहला,
जो वीराना आएगा...!

3359
किस कदर बेदर्द,
हो गया हैं ये इंसान;
टूटते तारेसे कहे,
पूरे करदे मेरे अरमान.......!

3360
जिधर देखो उधर,
शायर बिखरे पड़े हैं...
इश्क, देख तूने किस कदर...
तबाही मचा रखी हैं.......!

30 September 2018

3351 - 3355 दिल महोब्बत दुनियाँ आजाद आँसू खास बात मेहमान उदासी दर्द हँसी तलाश शायरी


3351
महोब्बत करने बालोंकी,
कमी नहीं हैं दुनियाँमें...
अकाल तो,
निभाने वालोका पड़ा हैं !!!

3352
"रातको आजाद हो जाते हैं,
जाने किस तरह;
सारा दिन रखता हूँ,
मैं तो आँसू बाँध कर.......!"

3353
कुछ तो खास बात हैं,
मेरी मेहमाननवाजीमें,
उदासी आई ठहर गई,
दर्द आया रुक गया...

3354
हँसीको एक खूँटीपर,
टाँग रक्खा हैं...l
घरसे निकलती हूँ,
तो पहन लेती हूँ.......

3355
अपने दिलकी ज़मींपें,
तलाश कर मुझे,
अगर वहां नहीं...
तो कहीं नहीं मैं;
मोहब्बत हूँ तेरे अहसासोंमें,
नही तो फिर कहीं भी नहीं हूँ मैं...!

29 September 2018

3346 - 3350 ज़िन्दगी तराजू तरक्की दावा बेकार वक्त किताबों कमबख्त नशा ठोकर दबदबा हुकूमत शायरी


3346
सबको उसी तराजूमें तोलिए,
जिसमें खुदको तोलते हो;
फिर देखना लोग उतने भी बुरे नहीं होते,
जितना हम समझते हैं.......!

3347
ज़िन्दगीको इतना,
सस्ताभी मत बनाओ दोस्तों,
के दो कौड़ीके लोग,
खेल कर चले जाये.......!

3348
गिर रहा हैं दिन दिन,
इंसानियतका स्तर...
और इंसानका दावा हैं,
कि हम तरक्कीपर हैं.......!

3349
"बेकार ज़ाया किया,
वक्त किताबोंमें...
सारे सबक तो कमबख्त,
ठोकरोंसे मिले हैं......."

3350
ये दबदबा, ये हुकूमत,
ये नशा, ये दौलते,
सब किरायेदार हैं,
घर बदलते रहते हैं.......!

3341 - 3345 दिल ज़िंदगीअंदाज मुलाकात रिश्ता तरस इन्सान बेबसी आहिस्ता मंज़िल शायरी


3341
हम मरेगें भी तो,
उस अंदाजसे...
जिस अंदाजमें लोग,
जीनेको भी तरसते हैं.......! 

3342
कुछ रिश्तोमें,
इन्सान अच्छा लगता हैं,
और कुछ इन्सानोंसे,
रिश्ता अच्छा लगता हैं...


3343
दिल साफ करके,
मुलाकातकी आदत डालो;
धूल हटती हैं तो,
आईने भी चमक उठते हैं.......

3344
समंदर अपनी बेबसी,
किसीसे कह नहीं सकता;
हजारों मील तक फैला हैं,
फिर भी बह नहीं सकता...

3345
ज़िंदगी,
बहुत तेज़ हैं रफ़्तार तेरी,
थोड़ा आहिस्ता चल,
समझने तो दे...
ये पड़ाव हैं या हैं मंज़िल मेरी.......

27 September 2018

3336 - 3340 मोहब्बत ज़माने जमीं खजाने फितरत शामिल सलीका सादगी रात रौशन अदब शायरी


3336
अदबसे झुक जाना,
हमारी फितरतमें शामिल था;
मगर हम क्या झुके,
लोग खुदा हो गए...!

3337
सलीका, सादगी, सब...
आजमाकर ये समझ आया;
बहुत नुकसान होता हैं,
अदबसे पेश आनेमें...!

3338
अदबसे उठाना,
बुझे दीयेको...
सारी रात उसने जलकर,
तुम्हारी रात रौशनकी हैं...!

3339
मोहब्बत करने चला हैं,
तो कुछ अदब भी सीख लेना;
इसमें हंसते साथ हैं,
पर रोना अकेले ही पड़ता हैं.......

33340
इल्मो अदबके सारे खजाने गुजर गए,
क्या खूब थे वो लोग पुराने गुजर गए;
बाकी हैं जमींपें फकत आदमीकी भीड़
इन्सांको मरे हुए तो ज़माने गुजर गए...

3331 - 3335 मोहब्बत जिंदगी बेमिसाल सजा गुनाह मुस्कराहट बिखर शर्मिंदा अंदाज़ शायरी


3331
मोहब्बतके बारेमें,
बस इतना ही कहेगें;
बेमिसाल सजा हैं,
बेगुनाहोके लिए...!

3332
तू थी तो...
तेरी मुस्कराहट पर बिखर जाता था...
तू गयी तो...
अब बिखरकर मुस्कुराना पड़ता हैं...

3333
शर्मिंदा करते हो रोज,
हाल हमारा पूँछकर...
हाल हमारा वहीं हैं,
जो तुमने बना रखा हैं.......

3334
हमारा अंदाज़ भी.
शायराना हो गया हैं जनाब...
जबसे उन्होंने कहां हैं कि,
मुझे शायरी और शायर बहुत पसंद हैं...!

3335
जिंदगी तू सचमें,
बहुत ख़ूबसूरत हैं;
फिर भी तू,
उसके बिना अच्छी नहीं लगती.......!

25 September 2018

3326 - 3330 मोहब्बत इश्क ग़म एहसास लम्हे नींदे फ़क़ीर सदियाँ कीमत वसूल मजे ख़ास शायरी


3326
आओ कभी मेरे पास यूँकी,
आनेमें लम्हे और...
जानेमें सदियाँ बीत जाये...!

3327
लाओ, वो गिरवी रखी मेरी,
नींदे वापस कर दो...
मोहब्बत नहीं दे सकते तो,
कीमत क्यूँ वसूलते हो.......?

3328
जिनका ये एलान हैं,
की वो मजेमें हैं...
या तो वो फ़क़ीर हैं
या फिर नशेमें हैं...!

3329
इश्कसे बचिये जनाब,
सुना हैं धीमी मौत हैं ये !

3330
देखकर तुमको अकसर,
हमें एहसास होता हैं;
कभी कभी ग़म देने वाला भी,
कितना ख़ास होता हैं.......!