25 October 2018

3476 - 3480 इश्क़ तन्हाई किस्मत शर्त जुदाई लहर दवा सुकून शख्स फर्क ख़ामोश अहसास शायरी


3476
तुम्हे मालूम हैं...
"हम ये जुदाई सह नहीं सकते."
"और उसपें शर्त हैं कैसी,
के ये भी कह नही सकते..."
"हमारी किस्मत हैं...
बस उन समंदरके किनारोसी;"
"जो लहरोंमें तो डूबे हैं,
मगर संग बह नहीं सकते..."

3477
ना जाने कौनसी,
दवा हैं उसके पास...
कुछ पल साथ गुजार लूँ,
तो सुकूनसा मिलता हैं...

3478
हमारे चले जानेके बाद,
ये समंदरकी रेत तुमसे पूछेगी...
कहाँ गया वो शख्स,
जो तन्हाईमें आकर;
बस तेरा ही नाम...
लिखा करता था.......!

3479
ज़िन्दगीमें किसीका साथ काफी हैं,
हाथोंमें किसीका हाथ काफी हैं,
दूर हो या पास फर्क नहीं पड़ता...
प्यारका तो बस अहसास ही काफी हैं!

3480
इश्क़के चर्चे...
भले ही सारी दुनियामें होते होंगे;
पर दिल तो...
ख़ामोशीसे ही टूटते हैं.......

24 October 2018

3471 - 3475 रौनक इश्तेहार त्यौहार नज़रिया तकलीफ मंजिल अजनबी यादें शायरी


3471
रौनकें कहाँ दिखाई देती हैं,
अब पहले जैसी गालिब 
अख़बारोंके इश्तेहार बताते हैं,
कोई त्यौहार आया हैं...।।

3472 
नज़रिया बदलके देख,
हर तरफ नज़राने मिलेंगे;
 ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफोंके भी,
दीवाने मिलेंगे.......!

3473
एक रास्ता ये भी हैं,
मंजिलोंको पानेका...
कि सीख लो तुम भी हुनर,
हाँ में हाँ मिलानेका.......!

3474
पता नहीं वो कैसे लोग थे,
जिंदगीभर अजनबी ही रहे...
पर मिलते हर रोज थे.......!

3475
क्या खूब होता अगर,
यादें रेत होती...
मुठ्ठीसे गिरा देते,
पाँवसे उड़ा देते...

23 October 2018

3466 - 3470 दुनिया अजनबी खुशबू यारी तारे गजब प्यार उदास आँख मौसम महसूस शायरी


3466
गजबका प्यार था,
उसकी उदास आँखोमें... 
महसूस तक ना होने दिया,
कि वो छोड़ने वाला हैं...।

3467
बदलते लोग, बदलते रिश्ते,
और बदलता मौसम...
चाहे दिखाई ना दे;
मगर 'महसूस' जरूर होते हैं...!

3468
ऐसा अपनापन भी क्या,
जो अजनबी महसूस हो...
साथ रहकर भी,
मुझे उनकी कमी महसूस हो...

3469
कुछ लोग मेरी दुनियामें,
खुशबूकी तरह हैं;
रोज महसूस तो होते हैं...
दिखाई नहीं देते.......!

3470
एक जैसे लोग सारे हीं होते,
कुछ हमारे होकर भी...
हमारे नहीं होते,
आपसे यारी करनेके बाद,
महसूस हुआ...
कौन कहता हैं...
'तारे ज़मींपर' नहीं होते...!

22 October 2018

3461 - 3465 इश्क मोहब्बत दिल चेहरा वजूद वक़्त जज़्बात दर्द लफ्ज़ तलाश महसूस शायरी


3461
एक चेहरा पड़ा मिला,
रास्तेपर मुझे...
ज़रूर किरदार बदलते,
वक़्त गिरा होगा...
बड़ा मुश्किल हैं,
जज़्बातोको पन्नोपर उतारना...
हर दर्द महसूस करना पड़ता हैं,
लिखनेसे पहले.......!!!

3462
ज़रूरी नहीं हैं इश्कमें,
बाहोंके सहारे ही मिले,
किसीको जी भरके महसूस करना...
भी मोहब्बत हैं.......!

3463
दिलपर हाथ रखो,
और कुछ देर रहने दो;
मुझे महसूस करो...
और अपने पास ही रहने दो...!

3464
कभी लफ्ज़ोमें तलाश करना,
वजूद मेरा...
मैं उतना लिख बोल नहीं पाता,
जितना महसूस करता हूँ...!

3465
अगर एहसास हैं तो,
करलो मोहब्बतको महसूस...!
ये वो ज्ज़बा हैं जो,
लफ्ज़ोमें समझाया नहीं जाता...!

21 October 2018

3456 - 3460 याद तन्हाई खुशियाँ ग़म नजर अंदाज आँख फिकर ज़िन्दगी मौजूद लम्हा महसूस शायरी


3456
मिले किसीका साथ,
तो हमें याद करना;
तन्हाई महसूस हो तो,
हमें याद करना;
खुशियाँ बाटनेके लियें,
दोस्त हजारो रखना;
जब ग़म बांटना हो,
तो हमें याद करना...!

3457
ये नजर-ए-अंदाज भी,
क्या खूब चीज हैं...
मैने उसे हमेशा बंद आँखोंसे,
महसूस किया हैं...
और एक वो हैं,
जिसने मुझे देखकर भी,
अनदेखा कर दिया हैं.......

3458
जब तुम
मेरी फिकर करते  हो ना...
तब ज़िन्दगी;
ज़िन्दगी सी महसूस होती हैं !!!

3459
उनकी मौजूदगी महसूस वो करे,
जो जुदा हो उनसे...
मैने तो अपने आपमें
उन्हें बसाया हैं.......!

3460
लोग कहते हैं बिना देखे,
कुछ महसूस नहीं होता...
पर हम तो बिना देखे,
उन्हे हर पल, हर लम्हा,
महसूस करते हैं.......!

20 October 2018

3451 - 3455 प्यार ज़िंदगी तस्वीर लफ्ज़ जुदा नजदिक अंदाज रास्ता उदासी आँख महसूस शायरी


3451
मेरी आँखोंमें छुपी,
उदासीको कभी महसूस तो कर;
हम वो हैं जो सबको...
हंसाकर रातभर रोते हैं.......!

3452
उसके हाथकी गिरिफ्त,
ढीली पड़ी तो महसूस हुआ...
यहीं वो जगह हैं,
जहाँ रास्ता बदलना हैं.......

3453
कितना प्यार हैं तुमसे,
वो लफ्ज़ोंके सहारे कैसे बताऊँ;
महसूस कर मेरे एहसासको,
अब मेरे नजदिक आकर...।

3454
अंदाजसे बना सकता हूँ,
तस्वीर मैं तेरी...
तुम्हें देखा ही नहीं,
महसूस किया हैं मैंने...!

3455
प्यारका रुतबा ज़िंदगीमें,
बहुत ज्यादा होता हैं...
महसूस तब होता हैं,
जब वो जुदा होता हैं.......

19 October 2018

3446 -3450 दिल ज़िन्दगी मुकम्मल जज़्बात हालात किस्मत कयामत हसरतें कोशिश आँख महसूस शायरी


3446
हो जाएगी मुकम्मल,
उस रोज ज़िन्दगी...।
जब जज़्बात मेरे,
छू लेंगे दिलको तेरे.......।

3447
सफ़र ज़िन्दगीका,
अब मुकम्मल कर लिया मैंने;
हालात ये हैं,
पाँव नहीं, दिल दुखता आया हैं;
तू कयामत तक,
धरनेपर बैठ किस्मत...
मैं कोशिशोसे कभी,
इस्तीफा नहीं दूंगा.......!

3448
महसूस तो होती हैं,
पर मुकम्मल नहीं होती...
कुछ हसरतें आँखोंमें ठहरी रहती हैं,
इंतजार बनकर.......!

3449
उम्रका बढ़ना तो,
दस्तूर-ए-जहाँ हैं;
मगर महसूस ना करो तो,
उम्र बढ़ती कहाँ हैं.......?

3450
खुदको भी कभी,
महसूस कर लिया करो...
कुछ रौनकें खुदसे भी,
हुआ करती हैं.......!

18 October 2018

3441 - 3445 ज़िन्दगी ख्वाहिश नादान हद मुलाकात तालीम तलाशी ग़म इंतज़ार मुकम्मल शायरी


3441
ख्वाहिश बड़ी,
नादान होती हैं...
मुकम्मल होते ही,
बदल जाती हैं.......!

3442
वो भी क्या ज़िद्द थी,
जो तेरे-मेरे बीच एक हद थी...
मुलाकात मुकम्मल ना सही,
मुहब्बत बेहद थी.......!

3443
हमसे मुकम्मल हुई ना कभी,
जिन्दगी तालीम तेरी...
शागिर्द कभी हम बन सके,
और उस्ताद तूने बनने ना दिया...!

3444
घरकी इस बार,
मुकम्मल तलाशी लूंगा !
पता नहीं ग़म छुपाकर...
हमारे माँ बाप कहां रखते थे...?

3445
किश्तोंमें खुदकुशी,
कर रही हैं ये जिन्दगी;
इंतज़ार तेरा.......
मुझे मुकम्मल मरने भी नहीं देता !!!

17 October 2018

3436 - 3440 पल आँख ख़फा अदा आरज़ू चाहत तमन्ना मेरी उल्फत इबादत मोहब्बत मुकम्मल शायरी


3436
पलपल ख़फा होकर तुम,
खूब जला लो दिल मेरा...
सोचो ग़र हमने सीख ली ये अदा,
तो क्या होगा.......

3437
आरज़ू मेरी, चाहत तेरी,
तमन्ना मेरी, उल्फत तेरी,
इबादत मेरी, मोहब्बत तेरी,
बस तुझसे तुझ तक हैं दुनिया मेरी...

3438
यादोंमें हमारी वो भी खोये होंगे,
खुली आँखोंसे कभी वो भी सोए होंगे;
माना हँसना हैं अदा ग़म छुपानेकी,
पर हँसते-हस्ते कभी वो भी रोए होंगे...!

3439
कुछ ख़त निकाल रखे हैं,
जलानेको,
कागज़ तो धुआँ हो जायेगे...
पर कहानीका क्या.......?

3440
कुछ ख़त आज भी,
डाकघर से लौट आते हैं...
डाकिया बोलता हैं,
जज्बातोंका कोई पता नहीं होता...!

16 October 2018

3431 - 3435 ज़िन्दगी खामोशी सितम याद प्यार जख्म मोहल्लत आदत लफ्ज़ शायरी


3431
हर तरफ खामोशीका साया हैं,
ज़िन्दगीमें प्यार किसने पाया हैं;
हम यादोंमें झूमते हैं उसकी...
और ज़माना कहता हैं,
देखो आज फिर पीकर आया हैं...!

3432
कट रही हैं ज़िन्दगी रोते हुए,
और वो भी तुम्हारे होते हुए...

3433
नमक तुम हाथमें लेकर,
सितमगर सोचते क्या हो...
हजारों जख्म हैं दिलपर,
जहाँ चाहो छिड़क डालो...!

3434
मुझे आदत नही,
हर किसीपर मर मिटनेकी;
जाने क्यों तुझे देखा...
और दिलने सोचनेतक की,
मोहल्लत ना दी.......!

3435
सौ-सौ अहसास छुपे हैं,
मेरे एक-एक लफ्ज़में...
भगवान जाने... 
तुम कितने समझ पाते हो...!