4311
उन्होंने कहां बहुत बोलते
हो,
अब क्या बरस
जाओगे...
हमने कहां,
चुप हो गए
तो तुम तरस
जाओगे...!
4312
"सामने
ना हो तो
तरसती हैं आँखे,
बिन तेरे बहुत
बरसती हैं आँखे...
मेरे लिए ना
सही इनके लिए
आ जाओ,
क़्यूँकी
तुमसे बेपनाह प्यार
करती हैं आँखे..."
4313
उसकी मोहब्बत भी,
बादलोकी तरह निकली...
छायी मुझपर
और,
बरस किसी
औरपर गयी...
4314
तमन्ना हैं, इस
बार बरस जाये,
ईमानकी बारिश...
लोगोंके ज़मीरपर,
धूल बहुत हैं.......
4315
जमीन जल चुकी हैं, आसमान बाकि हैं।
सूखे कुए तेरा,
इम्तिहान बाकि हैं।
बरस जाना इस
बार, वक्त पर
हे मेघा।
क्योंकि
किसीका मकान
गिरवी हैं,
तो
किसीका लगान बाकि हैं।।