3 February 2020

5421 - 5425 दिल खामोश होंठ मय नशा आँख मंजिल सफ़र परहेज़ प्यार राह रिश्ता शायरी


5421
दिल खामोश हैं, मगर होंठ हँसा करते हैं,
बस्ती वीरान, हैं मगर लोग बसा करते हैं...
नशा मयकदों में अब कहाँ हैं यारों,
लोग अब मय का नहीं,
मैं का नशा करते हैं...

5422
दबे होंठोंको बनाया हैं,
सहारा अपना...
सुना हैं कम बोलने,
बहुत कुछ सुलझ जाता हैं...

5423
भले ही उसूल हमेशा,
खुदसे ऊपर रखना...
पर रिश्तोमें जरा झुकनेका,
जिगर रखना...!

5424
आँखोंमें पानी रखो, होंठोंपे चिंगारी रखो,
जिन्दा रहना हैं तो तरकीबे बहुत सारी रखो,
राहके पत्थरसे बढ़ के कुछ नहीं है मंजिले,
रस्ते आवाज देते है सफ़र जारी रखो...

5425
उसके मीठे होंठ,
और मैं शुगरका मरीज,
तुम ही बताओ साहब,
हम परहेज़ करते या प्यार...

2 February 2020

5416 - 5420 ख्याल याद मोहब्बत मिजाज दुनिया मर्ज़ दर्द इलाज शायरी


5416
ख्यालोका क्या हैं,
आते हैं, चले जाते हैं...
इलाज तो...
यादोंका होना चाहिए...!

5417
इलाज अपना कराते,
फिर रहे हो जाने किस किससे...
मोहब्बत करके देख लो,
शायद आराम मिल जाये...

5418
पूछ लेते वो बस मिजाज मेरा...
कितना आसान था इलाज मेरा...!!!

5419
दुनियामें दो पौधे ऐसे हैं,
जो कभी मुरझाते नहीं;
और अगर जो मुरझा गए तो,
उसका कोई इलाज नहीं ll

5420
हर मर्ज़का इलाज,
नहीं दवाखानेमें...
कुछ दर्द चले जाते हैं,
तेरे साथ मुस्कुरानेमें...!!!

1 February 2020

5411 - 5415 जमाना खफा मेहरबां नाराज जिंदगी वक्त संस्कार परेशान परवाह शायरी


5411
परवाह नहीं अगर,
ये जमाना खफा रहें;
बस इतनीसी दुआ हैं,
की तू मेहरबां रहें.......!

5412
उनसे क्या नाराजगी रखना जिंदगी...
जिन्हें तुम्हारी परवाह तक भी नहीं.......!

5413
उनकी परवाह मत करो,
जिनका विश्वास वक्तके साथ बदल जाए;
परवाह सदा उनकी करो,
जिनका विश्वास आप पर तब भी रहें...
जब आपका वक्त बदल जाए !!!

5414
बोली बता देती हैं, इंसान कैसा हैं...
बहस बता देती हैं, ज्ञान कैसा हैं...
घमण्ड बता देता हैं, कितना पैसा हैं...
संस्कार बता देते हैं, परिवार कैसा हैं...

5415
इतनी भी जिद ना दिखाओ की,
सामनेवालाभी अपनी जिदपे अकड़े;
आपकी लापरवाह नजरअंदाजीसे,
खूब परेशान होके आपसे मूँह ही मोड़े...!
                                                   भाग्यश्री

31 January 2020

5406 - 5410 वफ़ा जन्नत वजह ख़्वाब दुनिया तोहफे कर्ज वक्त शायरी


5406
बस दो ही गवाह थे,
मेरी वफ़ाके...
वक्त और वो,
एक गुज़र गया दूसरा मुकर गया...

5407
सहेलियां जन्नत हैं या दौलत पता नहीं,
पर सहेलियां सुकून होती हैं;
वक्त कितना भी कठिन हो,
वह मुस्कुराहट की वजह होती हैं;
ये मेरे ख़्वाबोंकी दुनिया नहीं सही लेकिन,
अब गया हूँ तो दो दिन क़याम करता चलूँ I
शादाब लाहौरी

5408
कितने चालाक हैं,
कुछ मेरे अपने भी...
तोहफे मे घडी तो दी,
मगर वक्त नही...

5409
खास हैं वो लोग,
इस दुनियामें जो...
वक्त आने पर,
वक्त दिया करते हैं...

5410
सदा उनके कर्जदार रहिये,
जो आपके लिये...,
कभी खुदका वक्त नहीं देखते

30 January 2020

5401 - 5405 वफ़ा जालिम सितम तकदीर दस्तूर याद वक्त शायरी


5401
हम कहते थे न,
वक्त जालिम हैं...
देखों ख्वाब हो गए न,
तुम भी.......

5302
वक्त गूंगा नहीं...
बस मौन हैं ;
वक्त आने पर...
बता देगा किसका कौन हैं...

5403
चलकर देखा हैं अक्सर
मैने अपनी चालसे तेज;
पर वक्त और तकदीरसे आगे,
कभी निकल सका.......

5404
वक्त का पासा,
कभी भी पलट सकता हैं...
तुम वही सितम करना,
जो खुद सह सको...

5405
चलो शामका दस्तूर,
पूरा किया जाए...
उनकी यादोंका वक्त हैं,
एक बार उनको याद किया जाए...!

29 January 2020

5396 - 5400 जिन्दगी किताब तनाव तोहमत गिले शिकवे लहर वक्त शायरी


5396
जिन्दगीको कभी तो,
खुला छोड़ दो जीनेके लिए...
बहुत सम्भालके रखी चीज़,
वक्त पर नहीं मिलती...

5397
यूँ ना छोड़ जिंदगीकी,
किताबको खुला...
बेवक्तकी हवा ना जाने,
कौनसा पन्ना पलट दे........

5398
जिंदगी वक्तके बहावमें हैं,
यहां हर आदमी तनावमें हैं...
हमने लगा दी पानी पर तोहमत,
यह नहीं देखा कि छेद नावमें हैं...!

5399
जिंदगी तुझसे हर कदम पर,
समझोता क्यों किया जाएँ...
शौक जीनेका हैं मगर इतना भी नहीं कि,
मर मर करकेजिया जाएँ...

5400
हर वक्त जिदंगीसे,
गिले-शिकवे ठीक नही...
कभी तो छोड़ दीजिए,
कश्तियोको लहरोंके सहारे...!

28 January 2020

5391 - 5395 तस्वीर रंग गर्दिश किताब कहानी ज़ख्म वक़्त शायरी


5391
उड़ जाएंगे एक दिन,
तस्वीरसे रंगोंकी तरह;
हम वक़्तकी टहनीपर,
बेठे हैं परिंदोंकी तरह l

5392
रुकी वक़्तकी गर्दिश,
और  ज़माना बदला...
पेड सुखा तो,
परींदोने ठिकाना बदला...

5393
बदल जाते हैं,
वक़्तकी तरह वो लोग l
जिन्हें हदसे ज्यादा,
वक़्त दिया जाता हैं ll

5394
वक़्तकी किताबमें,
कुछ पन्ने उलटना चाहता हूँ,
मैं जो कल था...
फिर वही बनना चाहता हूँ...!

5395
लोग कहते हैं कि वक़्त,
हर ज़ख्मको भर देता हैं...
पर किताबोंपर धूल ज़मनेसे,
कहानी बदल नहीं जाती.......

27 January 2020

5386 - 5390 दिल उम्मीद इंतजार यादें बेफिक्र इंकार वक़्त शायरी


5386
उलझ गया था उनके दुपट्टेका,
कोना मेरी घड़ीसे...
वक़्त तबसे जो रुका हैं,
तो अब तक रुका ही पड़ा है...!

5387
तेरे आनेकी उम्मीद,
आज भी दिलमें जिंदा हैं...
इस कदर इंतजार किया हैं तेरा,
कि वक़्त भी शर्मिंदा हैं...

5388
मांगनाही छोङ दिया हमने,
वक़्त किसीसे...
क्या पता,
उनके पास इंकारका भी वक़्त ना हो...

5389
जैसे कहीं रखकर भूल गया हूँ,
वो बेफिक्र वक़्त,
अब कहीं मिलता नहीं.......

5390
वक़्त सोनेंका था...
और यादें जाग उठी !!!

26 January 2020

5381 - 5385 ज़िंदगी यार यादें मोहब्बत साथ जमीन दुश्मन आज़ाद तीर वक़्त शायरी


5381
बस मोहब्बत हमको आपसे होनी थी,
सो हो गयी.......
अब नसीहत छोडिये, साथ दिजीये,
और दुआ किजिए.......!!!

5382
बदल जाओ वक़्तके साथ,
या फिर वक़्त बदलना सीखो...
मजबूरियोंको मत कोसों,
हर हालमें चलना सीखों...!

5383
वो ज़िंदगीही क्या जिसमें यार नही,
वो यारी ही क्या जिसमें यादें नही;
वो यादें क्या जिसमे तुम नही,
और वो तुम ही क्या जिसके साथ हम नही...!

5384
उड़ने दो मिट्टीको,
आखिर कहाँ तक उड़ेगी...?
हवाओंने जब साथ छोड़ा तो...
जमीनपर ही गिरेगी.......!

5385
दुश्मनोंके साथ मेरी,
मोहब्बतभी आज़ाद हैं...
देखना हैं, फेंकता हैं मुझपर...
पहला तीर कौन...?

25 January 2020

5376 - 5380 ज़िंदगी धोख़ा विश्वास ख़ासियत साथ अक़्सर ज़हन गम शायरी


5376
धोखेकी ख़ासियत,
यही हैं जनाब...
ये विश्वासके साथ,
मुफ़्तमें मिलता हैं...

5377
काश कोई अपना हो,
तो आईने जैसा...
जो हँसे भी साथ,
और रोए भी साथ...

5378
अक़्सर हम साथ साथ,
टहलते हैं.......
तुम मेरे ज़हनमें,
और मैं छतपे.......

5379
मेरी जिंदगीमें,
सिर्फ यही गम रहा...
कि मैं उनके साथ,
बहोतही कम रहा...

5380
काश तुम पूछो की,
मुझसे तुम्हे क्या चाहिये...
मैं पकडू बस तेरा हाथ और कहूँ,
सिर्फ तेरा साथ चाहिये.......

23 January 2020

5371 - 5375 दिल मोहब्बत जिंदग़ी ख़ुबसूरत पल याद आँसू भूल बेरुख़ी ख़ामोश क़शमक़श शायरी


5371
क़ुछ ख़ुबसूरत पल याद आते हैं,
पलक़ोंपर आँसू छोड़ ज़ाते हैं,
क़ल क़ोई और मिले ना मिले...
हमें ना भूलना क़्योंक़ि,
क़ुछ रिश्ते जिंदग़ीभर याद आते हैं ll

5372
मोहब्बत मेरी भी,
बहुत असर क़रती हैं...
याद आएंग़े बहुत,
ज़रा भूल क़े देख़ो...

5373
भूलना तो बहोत चाहा,
मग़र यादें तो यादें हैं...
क़भी हम हार ज़ाते हैं,
तो क़भी ये ज़ीत ज़ाती हैं...

5374
मोहब्बत तो मोहब्बत हैं,
और हमेंशा रहेग़ी...
फ़िर चाहे वो नाराज़ हो बेरुख़ी दिख़ाए,
ख़ामोश हो ज़ाए ज़लाए या भूल ज़ाए......

5375
क़भी इसक़ा दिल रख़ा और क़भी उसक़ा दिल रख़ा
इसी क़शमक़शमें भूल ग़ए ख़ुद क़ा दिल क़हाँ रख़ा
क़ौन हैं ज़िसक़े पास क़मी नहीं हैं
आसमाँक़े पास भी ज़मीं नहीं हैं