6 April 2022

8466 - 8470 मुसाफ़िर धोख़ा आँख़ें आँसू ज़िंदग़ी तन्हा परछाई राह शायरी

 

8466
कुछ मुसाफ़िरोंक़ो मैंने,
राह भटक़ते देख़ा हैं...
मैंने शातिरक़ो भी,
धोख़ा ख़ाते देख़ा हैं...!

8467
ज़ब थक़ गई मेरी,
आँख़ें राह ताक़ते हुए...
तुझे फ़िर ढूंढने मेरी,
आँख़क़े आँसू निक़ले.......

8468
अदमक़े मुसाफ़िरो,
होशियार.......
राहमें ज़िंदग़ी ख़ड़ी होग़ी...!!!
                           साग़र सिद्दीक़ी

8469
क़ौन क़िसीक़ा होता हैं,
ज़िंदगीक़ी राहमें...
ज़ब अंधेरा होता हैं तो,
परछाई भी साथ छोड़ देती हैं...

8470
राह-ए-ज़िंदगी क़्या बताऊँ...
क़ैसे ग़ुज़र रही हैं...
शामें तन्हा हैं और रातें,
अक़ेली हो ग़यी हैं.......

5 April 2022

8461 - 8465 दिल नज़र दीदार इंतिज़ार मुलाक़ात इश्क़ पुक़ार रिश्ता ख़ातिर राह शायरी

 

8461
दौर--राहमें मुझे कुछ और,
आसान नज़र आता नहीं...
एक़ तेरे इश्क़क़ी बात भी अब,
बसक़ी बात नहीं.......

8462
यूँ सर-ए-राह,
मुलाक़ात हुई हैं l
अक्सर उसने देख़ा भी नहीं,
हमने पुक़ारा भी नहीं.......ll
इक़बाल अज़ीम

8463
राह चलते चलते,
बार बार दुआ क़रता रहा...
ज़ान निक़ली भी तो,
बस एक़ दीदारक़े लिए.......

8464
उसक़ी राहमें मैंने,
इतना इंतिज़ार क़िया...
ज़ो रफ़्ता रफ़्ता दिल मिरा,
बीमार हो ग़या.......
शैख़ ज़हूरूद्दीन

8465
राह देख़ी उसने मेरी,
और वो रिश्ता तोड़ लिया...
ज़िस रिश्तेक़ी ख़ातिर,
मुझसे दुनियाने मुँह मोड़ लिया...

4 April 2022

8456 - 8460 अज़ीब मंज़िल ख़्वाहिश क़दम शौक़ तन्हा राह शायरी

 

8456
सिर्फ़ इक़ क़दम उठा था,
ग़लत राह--शौक़में...
मंज़िल तमाम उम्र,
मुझे ढूँढती रहीं.......
               अब्दुल हमीद अदम

8457
नमक़क़े ड़िब्बेमें,
एक़ चींटी मिली...
क़भी क़भी ग़लत राहपर लोग़,
क़ितना आग़े निक़ल ज़ाते हैं.......

8458
एक़ अज़ीब रिश्ता हैं,
मेरे और ख़्वाहिशोंक़े दरमियाँ...
वो मुझे ज़ीने नहीं देती और,
मैं उन्हें मरने नहीं देता.......
                                          ग़ुलज़ार

8459
मंज़िलका तो पता नहीं,
राहे शायद एक़ ही थी...
हमने वो भी,
अक़ेले ही तय क़िया...

8460
तुम ज़ब क़भी आओगे इस राह...
तो तुम देख़ना ;
तन्हा जैसे छोड़े थे तुमने आज़ भी...
मैं वैसी हूँ तन्हा ll

3 April 2022

8451 - 8455 दीदार इश्क़ महबूब परवाह राह, चाह, तन्हा क़ारवाँ अंज़ाम ख़्वाहिश शायरी

 

8451
बिछड़क़र क़ारवाँसे,
मैं क़भी तन्हा नहीं रहता...
रफ़ीक़े-राह बन ज़ाती हैं,
ग़र्दे-क़ारवाँ मेरी.......
                  ज़लील मानिक़पुरी

8452
हज़ार ख़्वाहिशें हमने,
एक़ साथ तौलक़र देख़ी ;
उफ्फ़... तेरी ये चाहत फ़िर भी,
सबपर भारी निक़ली.......!!!

8453
प्यारक़ी राहमें,
इश्क़क़ी चाहमें...
एक़ दिन ज़रूर होंगे,
अपने महबूबक़ी बाहोंमें...

8454
बस एक़ ही ख़्वाहिश हैं,
मैं बादल बन ज़ाऊँ...
तेरे दिलक़े आँगनमें,
तुझ संग भीग ज़ाऊँ.......

8455
परवाह नहीं ज़मानेक़ी,
या उसक़े अंज़ामक़ी...
चलूंग़ा उसी राहपर,
ज़ो तेरा दीदार मुक़म्मल क़रता हो...

8446 - 8450 ख़्वाहिश मुश्क़िल गुनाह राहत दिल इश्क़ तनहा वफ़ा राह शायरी

 

8446
एक़ ख़्वाहिश हैं मेरी,
लंबी राह हल्क़ी बारिश...
बहुत सारी बातें,
और बस हम और तुम...

8447
राह भी तुम हो,
राहत भी तुम ही हो...!
मेरे सुख़ दुख़क़ो बांटनेवाली 
हमसफ़र भी तुम ही हो.......!!!

8448
फ़िरसे इश्क़की राहमें,
चलना सीखा दिया...
हमे फ़िरसे इश्क़ने,
अपना बना दिया...ll

8449
क़िसीक़े दिलमें,
राह क़िए ज़ा रहा हूँ...
क़ितना हसीन गुनाह,
क़िए ज़ा रहा हूँ.......!

8450
राह--वफ़ामें,
क़ोई हमसफ़र ज़रूरी हैं...
ये रास्ता क़हीं तनहा क़टे,
तो मुश्क़िल हैं.......

31 March 2022

8441 - 8445 ज़िंदग़ी मुसाफ़िर रोशनी चिराग़ मुलाक़ात फ़ितरत निग़ाह क़दम क़सम फ़ूल राह शायरी

 

8441
मेरा तो ज़ो भी क़दम हैं,
वो तेरी राहमें हैं...
क़े तू क़हीं भी रहें,
तू मेरी निग़ाहमें हैं.......

8442
तुझसे ना मिलनेक़ी,
क़सम ख़ाक़र भी...
हर राहमें तुझे हीं,
ढूँढा हैं मैंने.......

8443
ज़िंदग़ीक़ी राहमें मिले होंग़े,
हज़ारों मुसाफ़िर तुमक़ो...
ज़िंदग़ीभर ना भुला पाओग़े,
वो मुलाक़ात हूँ मैं.......!

8444
फ़ूल हम क़िसीक़ी राहमें,
बिछा पाये क़ोई ग़म नहीं...
राहक़े क़ाँटोंक़ो चुनलें हम,
यह भी क़ोई क़म तो नहीं...

8445
ज़िस राहपर हरबार मुझे,
अपना क़ोई छलता रहा l
फ़िर भी ज़ाने क़्यूँ मैं,
उसी राहपर हीं चलता रहा l
सोचा बहुत इस बार,
रोशनी नहीं धुँआ दूँग़ा l
लेक़िनमैं चिराग़ था फ़ितरतसे,
ज़लना था ज़लता रहा ll

30 March 2022

8436 - 8440 आँख़ दिल ज़िंदग़ी, मुस्क़ान आरज़ू मुस्क़ान ज़ान,अरमान तीर दिल शायरी

 

8436
आँख़ोंक़ी चमक़ पलकोंक़ी शान हो तुम,
चेहरेक़ी हंसी लबोंक़ी मुस्क़ान हो तुम...
धड़क़ता हैं दिल बस तुम्हारी आरज़ूमें,
फ़िर क़ैसे ना क़हूँ मेरी ज़ान हो तुम...!!!

8437
बेचैनियोंक़ी अपनी,
सबब ज़ान लीज़िए...l
डर क़्यों रहीं हो ?
दिलक़ा क़हां मान लीज़िए...ll

8438
वबाल तनपें हैं सर मिरा,
नहीं ज़ान ज़ानेक़ा ड़र...
ज़रा क़टे ग़म हीं निक़ले ज़ो दम मिरा,
मुझे अपनी ज़िन्दग़ी बार हैं...

8439
क़्यूँ क़र उस बुतसे रख़ूँ ज़ान अज़ीज़,
क़्या नहीं हैं मुझे ईमान अज़ीज़ l
 
दिलसे निक़ला पह निक़ला दिलसे,
हैं तेरे तीरक़ा पैक़ान अज़ीज़ l

ताब लाये ही बनेग़ी ग़ालिब,
बाक़िआ सख़्त हैं और ज़ान अज़ीज़ ll
 
मिर्ज़ा ग़ालिब

8440
ज़िंदग़ीक़े लिये ज़ान ज़रूरी हैं,
ज़ीनेक़े लिये अरमान ज़रूरी हैं...
हमारे पास हो चाहें क़ितना भी ग़म,
लेक़िन तेरे चहरेपर मुस्क़ान ज़रूरी हैं...

28 March 2022

8431 - 8435 शमा ख़्याल इंतज़ार ख़ुशी ज़ान शायरी

 

8431
मेरी ज़ान ले लेती हो,
ज़ब 'मेरी ज़ान' क़हक़े बुलाती हो...
यह बात ज़ान लो तुम,
क़ि मेरी ज़ान हो तुम.......!!!

8432
शमा एक़ मोमक़े,
पैक़रक़े सिवा क़ुछ भी नहीं...
आग़ ज़ब तनपें लग़ाई हैं,
तो ज़ानपें आई हैं.......

8433
तुम अपना ख़्याल,
रखा क़रो मेरी ज़ान...
क़्योंक़ि तुम्हारे हर ख़ुशीमें,
बसी हैं मेरी ज़ान.......

8434
ज़ानसे भी ज्यादा,
उन्हें प्यार क़िया क़रते थे...
याद उन्हें दिनरात,
क़िया क़रते थे...
अब उन राहोंसे,
गुज़रा नहीं ज़ाता,
ज़हाँ बैठक़र उनक़ा,
इंतज़ार क़िया क़रते थे...

8435
तुमसे मैं कुछ,
क़हना चाहता हूँ...
मैं तुम्हे अपनी,
ज़ान बनाना चाहता हूँ...

27 March 2022

8426 - 8430 दिल ज़िस्म ख़्वाहिश रंज़िश पहचान ज़ान शायरी

 

8426
ख़ाक़ थी और,
ज़िस्मोंज़ान क़हते रहे...
चंद ईटोंक़ो ही,
मक़ान क़हते रहे...

8427
ना क़िसीक़ा दिल चाहिए,
ना क़िसीक़ी ज़ान चाहिए...
ज़ो मुझे समझ सक़े,
बस एक़ ऐसा इंसान चाहिए...

8428
ख़ुदा, एक़ हीं ख़्वाहिश हैं,
क़ी मैं ज़ब ज़ानसे ज़ाऊँ...
ज़िस शानसे आया था,
उसी शानसे ज़ाऊँ.......

8429
आख़िरसे मुझे छोड़क़े,
ज़ानेक़े लिए आ l
रंज़िश सहीं ll

8430
झुक़ते वो हैं,
ज़िनमें ज़ान होती हैं...
अक़ड़ना मुर्दोंक़ी,
पहचान होती हैं.......

26 March 2022

8421 - 8425 ज़िन्दगी सुक़ून सूरत अंज़ान प्यार ज़िस्म ज़ान शायरी

 

8421
मेरी ज़िन्दगी, मेरी ज़ान हो तुम...
और क़्या क़हूँ...
मेरे लिए सुक़ूनक़ा,
दूसरा नाम हो तुम...!!!

8422
अंज़ान बनक़र मिले थे,
क़ब ज़ान बन ग़ये,
पता ही नहीं चला.......

8423
ना क़म होग़ा और...
ना ख़त्म होग़ा ;
ये प्यार मेरी ज़ान,
हरपल होग़ा.......!!!

8424
दो ज़िस्म इक़ ज़ान क़्या,
इक़-दूजेक़े प्यारसे अंज़ान क़्या...

8425
अच्छी सीरतक़ो,
देख़ता हैं क़ौन...?
अच्छी सूरतपें,
ज़ान देते हैं सब...!
         बिस्मिल भरतपुरी

25 March 2022

8416 - 8420 इश्क़ मोहब्बत बेवफ़ा इल्जाम अंज़ाम अंज़ान ज़ान शायरी

 

8416
ले चला ज़ान मेरी,
रूठक़े ज़ाना तेरा...
ऐसे आनेसे तो बेहतर था,
आना तेरा.......

8417
वो इश्क़में शायद हमारा,
इम्तिहान ले रहे हैं...
लेक़िन उन्हें क़्या मालूम,
वो हमारी ज़ान ले रहे हैं...

8418
अगर मैं अपनी,
मोहब्बतक़ा अंज़ाम ज़ानता...
तो मैं क़िसी बेवफ़ाक़ो,
क़्यों दिलों-ज़ान मानता.......

8419
ज़ान क़हक़र भी वो ज़ान पाएँ,
आज़तक़ वो मुझे पहचान पाएँ,
ख़ुद ही क़र ली बेवफाई हमने,
ताक़ि उनपर क़ोई इल्जाम आएँ ll

8420
क़ितने अज़ीब होते हैं,
ये मोहब्बतक़े रिवाज़...
लोग़ आपसे 'तुम', तुमसे 'ज़ान',
और ज़ानसे 'अंज़ान' बन ज़ाते हैं...!

24 March 2022

8411 - 8415 साँस दिल मोहब्बत ज़िन्दगी ज़िस्म आँखें ज़ान शायरी

 

8411
मुस्क़ुराक़र दूर हुए,
दिलने मेरे रो दिया...
अपने ज़िस्मसे ज़ैसे,
मैंने ज़ानक़ो ख़ो दिया...

8412
मोहब्बत क़रनेवाले,
आँखें पढ़ लेते हैं...!
क़्या तुम ज़ान नहीं पाई,
क़ि मेरी ज़ान हो तुम...!!!

8413
रूठक़े हमसे ख़ुश,
तुम भी रह पाओग़े l
ज़ान तो ज़ाएगी हमारी,
साँस तुम भी ले पाओग़े ll

8414
तुमक़ो तो ज़ानसे प्यारा बना लिया,
दिलक़ा सुक़ून आँखोंक़ा तारा बना लिया l
अब तुम साथ दो या ना दो ये तुम्हारी मर्ज़ी,
हमने तो तुम्हे ज़िन्दगीक़ा सहारा बना लिया ll

8415
इससे पहले क़ि,
मेरी ज़ान ज़ाये...
ज़रा उनसे क़हदो क़ि,
वो मान ज़ाये.......