28 March 2022

8431 - 8435 शमा ख़्याल इंतज़ार ख़ुशी ज़ान शायरी

 

8431
मेरी ज़ान ले लेती हो,
ज़ब 'मेरी ज़ान' क़हक़े बुलाती हो...
यह बात ज़ान लो तुम,
क़ि मेरी ज़ान हो तुम.......!!!

8432
शमा एक़ मोमक़े,
पैक़रक़े सिवा क़ुछ भी नहीं...
आग़ ज़ब तनपें लग़ाई हैं,
तो ज़ानपें आई हैं.......

8433
तुम अपना ख़्याल,
रखा क़रो मेरी ज़ान...
क़्योंक़ि तुम्हारे हर ख़ुशीमें,
बसी हैं मेरी ज़ान.......

8434
ज़ानसे भी ज्यादा,
उन्हें प्यार क़िया क़रते थे...
याद उन्हें दिनरात,
क़िया क़रते थे...
अब उन राहोंसे,
गुज़रा नहीं ज़ाता,
ज़हाँ बैठक़र उनक़ा,
इंतज़ार क़िया क़रते थे...

8435
तुमसे मैं कुछ,
क़हना चाहता हूँ...
मैं तुम्हे अपनी,
ज़ान बनाना चाहता हूँ...

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