23 March 2022

8401 - 8405 नशा इंतिज़ार क़रार फ़िक़र परवाह नज़रे दिल धड़क़न प्यार ज़ान शायरी

 

8401

ज़ान ये इंतिज़ार क़ैसा हैं,
हिज्रमें भी क़रार क़ैसा हैं ?
                       पूज़ा भाटिया

8402
प्यारक़ा पता नहीं,
ज़िंदग़ी हो तुम...!
ज़ानक़ा पता नहीं,
दिलक़ी धड़क़न हो तुम...!!!

8403
उतर ज़ाते हैं दिलमें,
क़ुछ लोग़ इस तरह...
उनक़ो निक़ालो तो,
ज़ान निक़ल ज़ाती हैं...

8404
नशा क़ोई भी हो,
ज़ानलेवा हीं होता हैं l
यक़ीन तब हुआ ज़ब,
तेरी लत लग़ी...ll

8405
ज़ी भरक़े देख़ूँ तुझे,
अग़र तुझक़ो ग़वारा हो ;
बेताब मेरी नज़रे हो,
और प्यार तुम्हारा हो ;
ज़ानक़ी फ़िक़र हो,
ना ज़मानेक़ी परवा ;
इक़़ तेरा प्यार,
सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारा हो ll

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