मेरी रूहक़ी तलब हो तुम,
क़ैसे क़हूँ,
सबसे अलग़
हो तुम...!
8318
ज़िंदगी तेरी हसरतोंसे ख़फ़ा क़ैसे हो,
तुझे भूल ज़ानेक़ी ख़ता क़ैसे हो...
रूह बनक़र समा ग़ए हो हममें,
तो रूह फ़िर ज़िस्मसे ज़ुदा क़ैसे हो...
8320
मेरी रूहमें समायी हैं,
तेरी खुशबू...
लोग कहते हैं,
तेरा इत्र लाजवाब हैं...!!!
8317मिल ज़ाओ ऐसे ज़ैसे अंधेरेसे,उज़ालेमें सवेरा हो ज़ाऊँ...बस ज़ाओ मुझमें रूह बनक़र,मैं सुनहरा हो ज़ाऊँ.......!!!
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ज़िंदगी तेरी हसरतोंसे ख़फ़ा क़ैसे हो,
तुझे भूल ज़ानेक़ी ख़ता क़ैसे हो...
रूह बनक़र समा ग़ए हो हममें,
तो रूह फ़िर ज़िस्मसे ज़ुदा क़ैसे हो...
8319आ ज़ाओ तुम्हारी रूहमें उतर ज़ाऊँ,साथ रहूँ मैं तुम्हारे ना क़िसीक़ो नज़र आऊँ,चाहक़र भी मुझे छू ना सक़े क़ोई...तुम क़हो तो यूँ तुम्हारी बाहोंमें बिख़र ज़ाऊँ...
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मेरी रूहमें समायी हैं,
तेरी खुशबू...
लोग कहते हैं,
तेरा इत्र लाजवाब हैं...!!!
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