14 March 2022

8361 - 8365 सुक़ून तलाश आवारग़ी एहसास मोहब्बत ख़्वाहिश नज़र ज़िंदगी रूह शायरी

 

8361
एक़ रूह हैं ज़िसक़ो,
सुक़ूनक़ी तलाश हैं...
एक़ मिज़ाज़ हैं ज़िसक़ो,
आवारग़ीक़ी तलब हैं.......

8362
चेहरा ढूंढोग़े तो,
मुस्क़ान हीं मिलेग़ी...
वीरानियाँ ग़र देख़नी हैं,
रूहक़ी तलाशी ले लो.......

8363
एक़ एहसास तेरा,
मुक़म्मल ज़िंदगी मेरी,
एक़ ख़ुशी तेरी,
सौ दुआएरूह मेरी...!!!

8364
रूहक़ो छू ज़ाती हैं तेरी नज़र,
इस क़दर ना देख़ा क़रो हमें...
तेरी नज़रमें क़ुछ क़शिश हैं,
क़हीं मोहब्बत ना हो ज़ाए हमें...

8365
मैं ख़्वाहिश बन ज़ाऊँ,
और तू रूहक़ी तलब...
बस यूँ हीं ज़ी लेंगे,
दोनों मोहब्बत बनक़र...

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