6 March 2022

8321 - 8325 चेहरे दीवाना ज़हन मुलाक़ात दिल ज़िस्म मुहब्बत बरसात ज़ुदा फ़ितरत रूह शायरी

 

8321
ज़हनमें बस ज़ाएँ,
वो मुलाक़ातें अब क़हाँ...
रूह भिग़ो ज़ाएँ,
वो बरसातें अब क़हाँ...

8322
मेरी फ़ितरत हैं,
रूहमें बसना...!
हमसे क़ैसे क़ोई,
ज़ुदा होग़ा.......!!!

8323
तेरे चेहरेक़े,
हज़ारों चाहनेवाले होगें...
तेरी रूहक़ा तो मैं बस,
अक़ेला ही दीवाना हूँ.......!

8324
मेरे ज़िस्मसे,
मेरी रूह निक़ल ज़ाएग़ी l
पर मेरे दिलसे तुम,
क़भी नहीं निक़ल पाओग़े ll

8325
वो तब भी थी, अब भी हैं,
और हमेशा रहेग़ी l
ये रूहानी मुहब्बत हैं,
क़ोई तालीम नहीं,
ज़ो पूरी हो ज़ाए...ll

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