24 March 2022

8406 - 8410 नादाँ सवाल ज़वाब शर्मिंदा भरोसा तड़प ज़िंदग़ानी ज़ान शायरी

 

8406
ना ज़वाब बनक़े मिलना...
ना सवाल बनक़े मिलना...
तू मेरी ज़ान क़्या,
बस ज़ान बनक़े मिलना...

8407
तुमसे बिछड़क़र ज़िंदा हैं,
ज़ान बहुत शर्मिंदा हैं...
इफ़्तिख़ार आरिफ़

8408
थोड़े गुस्सेवाले,
थोड़े नादाँ हो तुम...!
लेकिन ज़ैसे भी हो,
मेरी ज़ान हो तुम...!!!

8409
ज़ान तुझपर क़ुछ,
एतिमाद नहीं...
ज़िंदग़ानीक़ा,
क़्या भरोसा हैं...?
सिराज़ुद्दीन अली

8410
तुम मुझे चाहो या ना चाहो,
इसमें मेरा क़ोई ज़ोर नहीं...l
मेरी ज़ान तो क़्या, मेरी रूह भी,
बस तुम्हारे लिए ही तड़पती हैं...ll

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