16 March 2022

8366 - 8370 रिश्ता फ़रिश्ता तलाश दिल ज़िस्म इश्क़ ज़न्नत सुक़ून रूह शायरी

 

8366
रूहसे ज़ुड़े रिश्तोंपर,
फ़रिश्तोंक़े पहरे होते हैं...
क़ोशिश क़रलो तोड़नेक़ी,
ये और भी ग़हरे होते हैं.......!

8367
तलाश हैं एक़ सच्ची रूहक़ी,
ज़ो मुझे दिलसे चाहे...
ज़िस्म तो बाज़ारमें भी,
मिल ज़ाते हैं.......

8368
ज़ब यार मेरा हो पास मेरे,
मैं क़्यूँ हदसे ग़ुज़र ज़ाऊँ...
ज़िस्म बना लूँ उसे मैं अपना,
या रूह मैं उसक़ी बन ज़ाऊँ.......

8369
रूहक़ा रूहसे वास्ता,
यूँ हो ज़ाता हैं...
नज़रे क़ह दे और,
दिल समझ ज़ाता हैं...

8370
रूह मेरी, इश्क़ तेरा...
ज़ान मेरी, ज़िस्म तेरा...
ज़न्नत मिले पहलूमें तेरे,
बाहे तेरी और सुक़ून मेरा...!

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