3 March 2022

8306 - 8310 ज़ान दस्तक़ ख़ामोशी सवाल याद दिल इत्र महक़ रूह शायरी

 

8306
दस्तक़ और आवाज़ तो,
क़ानोंक़े लिए हैं...
ज़ो रूहक़ो सुनायी दे,
उसे ख़ामोशी क़हते हैं...!

8307
हँसते हुए लोग़ोंक़ी संग़त,
इत्रक़ी दुक़ान ज़ैसी होती हैं...
क़ुछ ख़रीदो तो भी,
रूह तो महक़ा हीं देती हैं...

8308
होता अग़र बसमें,
एक़ पलमें बिछड़ ज़ाते तुमसे...
हर रोज़ ज़ानसे रूहक़ा ज़ुदा होना,
अब सहा नहीं ज़ाता.......
                                         भाग्यश्री

8309
मैंने पूछा, क़ैसे ज़ान ज़ाते हो,
मेरे दिलक़ी बातें...
वो बोले, ज़ब रूहमें बसे हो,
फ़िर ये सवाल क़्यूँ.......

8310
इस रूहसे क़ह दो क़ि,
मेंरे दिलमें ना आया क़रे...
इसे देख़ शिद्दतसे क़िसीक़ी,
मुझे याद आती हैं.......

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