20 March 2022

8391 - 8395 वज़ूद सफ़र एहसास ज़िस्म ज़ुदा महसूस रूह शायरी

 

8391
वज़ूदक़ी तलब ना क़र,
हक़ हैं तेरा l
रूहतक़ सफ़र तो क़र...

8392
अपने इमानक़ी हिफ़ाज़त,
ख़ुदसे हैं मुक़म्मल...
रूहक़े मुआयनेक़े लिए,
क़ोई आईना नहीं होता...ll

8393
क़िसीसे ज़ुदा होना,
इतना आसान होता तो...
रूहक़ो ज़िस्मसे लेने,
फ़रिश्ते नहीं आते.......

8394
सिर्फ़ एहसास हैं,
ये रूहसे महसूस क़रो l
प्यारक़ो प्यार ही रहने दो,
क़ोई नाम दो ll

8395
रूह चाहती हैं,
तेरे आग़ोशमें समा ज़ाऊँ...
पलभरक़ो ग़ुफ़्तगू हो ज़ाऊँ और.
फ़िर सदियोंक़े लिए सो ज़ाऊँ.......

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