3 April 2022

8446 - 8450 ख़्वाहिश मुश्क़िल गुनाह राहत दिल इश्क़ तनहा वफ़ा राह शायरी

 

8446
एक़ ख़्वाहिश हैं मेरी,
लंबी राह हल्क़ी बारिश...
बहुत सारी बातें,
और बस हम और तुम...

8447
राह भी तुम हो,
राहत भी तुम ही हो...!
मेरे सुख़ दुख़क़ो बांटनेवाली 
हमसफ़र भी तुम ही हो.......!!!

8448
फ़िरसे इश्क़की राहमें,
चलना सीखा दिया...
हमे फ़िरसे इश्क़ने,
अपना बना दिया...ll

8449
क़िसीक़े दिलमें,
राह क़िए ज़ा रहा हूँ...
क़ितना हसीन गुनाह,
क़िए ज़ा रहा हूँ.......!

8450
राह--वफ़ामें,
क़ोई हमसफ़र ज़रूरी हैं...
ये रास्ता क़हीं तनहा क़टे,
तो मुश्क़िल हैं.......

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