30 April 2022

8556 - 8560 दिल इश्क़ मोहब्बत ज़िस्म मायूस आँखें क़दम मंज़िल इंतिज़ार एहसास राहें शायरी

 

8556
राहमें ग़म-ज़दा--इश्क़क़ो,
क़्या टोक़ो हो...
अपनी हालतमें गिरफ़्तार,
चला ज़ाता हैं.......
                 शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

8557
मायूस हैं एहसाससे,
उलझी हुई राहें...
पायल दिल--मज़बूरक़ी,
छनक़ाक़े ग़ुज़र ज़ा.......
साग़र सिद्दीक़ी

8558
मंज़िल--इश्क़क़ी राहें हैं,
बहुत ही दुश्वार...
हर क़दमपर नए आज़ार,
नज़र आते हैं....
                          जौहर ज़ाहिरी

8559
बता तू दिलक़े बचानेक़ी,
क़ोई राह भी हैं...
तिरी निगाहक़ी,
नावक़-फ़ग़न पनाह भी हैं...
मिर्ज़ा आसमान ज़ाह अंज़ुम

8560
तमाम ज़िस्मक़ो,
आँखें बनाक़े राह तक़ो l
तमाम ख़ेल मोहब्बतमें,
इंतिज़ारक़ा हैं.......ll
                         मुनव्वर राना

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