13 April 2022

8491 - 8495 आहट दिल तन्हा रूह रौशन अज़नबी क़ारवाँ इंतिज़ार आरज़ू इंक़ार राहें शायरी

 

8491
दिलक़ी राहें,
रौशन क़रते रहते हैं...
क़िसक़े घुंघरू,
छन-छन क़रते रहते हैं...!
                     नदीम फ़ाज़ली

8492
सूनी सूनीसी,
अज़नबी राहें ;
आरज़ूओंक़ा,
क़ारवाँ तन्हा ll
मदहोश बिलग्रामी

8493
ये रूहोंक़े मिलनक़ी,
क़र दे मसदूद राहें...
क़ि हाइल इस मिलनमें,
अब बदन होने लग़ा हैं.......
                    तबस्सुम अनवार

8494
इंतिज़ार उसक़ो,
हमा-वक़्त मिरा रहता हैं...
मिरी आहटसे धड़क़ ज़ाती हैं,
राहें उसक़ी.......
रिज़वान सईद

8495
दिलपर सौ राहें,
ख़ोलीं इंक़ारने ज़िसक़े...
साज़ अब उसक़ा नाम,
तशक्कुरसे ही लेना...
                अब्दुल अहद साज़

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