24 April 2022

8531 - 8535 आसमाँ ख़िज़ाँ नशेमन फ़ूल चाँद तारे नैन मोहब्बत शख़्स प्यास राहें शायरी

 

8531
आसमाँ ख़ोल दिया,
पैरोंमें राहें रख़ दीं...
फ़िर नशेमनपें उसी शख़्सने,
शाख़ें रख़ दीं.......
                        धीरेंद्र सिंह फ़य्याज़

8532
दिख़ाई देता हैं,
इक़ अक़्स चाँद तारोंमें,
सज़ाता रहता हैं,
राहें फ़लक़ मोहब्बतक़ी...
नाज़ बट

8533
तेज़ धूपमें तपती राहें,
प्यास थी नंग़े पाँव...
नैनोंने अमृत बरसाया,
क़ई बरसक़े बाद.......!
                        मधूरिमा सिंह

8534
उज़ाड़ तपती हुई,
राहमें भटक़ने लग़ी...
ज़ाने फ़ूलने,
क़्या क़ह दिया था तितलीसे...!
नुसरत ग़्वालियारी

8535
ग़ुबार--शहरमें उसे ढूँड,
ज़ो ख़िज़ाँक़ी शब...
हवाक़ी राहसे मिला,
हवाक़ी राहपर ग़या...
                       अली अक़बर नातिक़

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