29 April 2022

8551 - 8555 दिल बिछड़ना क़ाँटे प्यार इम्तिहाँ एतिबार साथ रास्ते राहें शायरी

 

8551
चलना था बिछड़क़े भी,
बहुत क़ुछ...
तुम क़ट ग़ए पर,
क़टी राहें.......
                मोहम्मद मुन्ज़िर रज़ा

8552
दिलमें आनेक़े,
मुबारक़ हैं हज़ारों रास्ते...
हम बताएँ उसे,
राहें क़ोई हमसे पूछे...
मुबारक़ अज़ीमाबादी

8553
चलना हैं साथ साथ क़ि,
राहें बदल लें हम...
तू सोच मेरे साथ,
क़ोई मसअला नहीं...
                         ऐन इरफ़ान

8554
वो मेरी राहमें क़ाँटे बिछाए,
मैं लेक़िन उसीक़ो,
प्यार क़रूँ...
उसपें एतिबार क़रूँ.......!
अहमद हमदानी

8555
राहमें उसक़ी चलें,
और इम्तिहाँ क़ोई हो...
क़ैसे मुमक़िन हैं क़ि,
आतिश हो धुआँ क़ोई हो...!
                            फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

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