8496
क़िस मस्त अदासे आँख़ लड़ी,
मतवाला बना लहराक़े ग़िरा !
आगे तो हैं राहें और क़ठिन,
दिल पहले ही ठोक़र खाक़े ग़िरा !!!
आरज़ू लख़नवी
8497कुछ रोज़से दिलने,तिरी राहें नहीं देख़ीं...lक़्या बात हैं...,तू याद भी आया नहीं इतना...llअदीम हाशमी
8498
ग़ुज़रे हैं वो इधरसे,
तस्दीक़ हो रही हैं...
ग़ुल हैं, न ग़ुल्सिताँ हैं,
महक़ी हुई हैं राहें...!!!
मानी नाग़पुरी
8499वो राहें आज़ भी,नक़्श-ए-वफ़ासे हैं रौशन...मिज़ाज़दान-ए-मोहब्बत,ज़िधरसे ग़ुज़रे हैं.......क़शफ़ी लख़नवी
8500
इक हसीं.
आँख़क़े
इशारेपर...
क़ाफ़िले राह,
क़ाफ़िले राह,
भूल ज़ाते
हैं.......
अब्दुल हमीद अदम
अब्दुल हमीद अदम
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