8516
क़िसीक़ी राहमें क़ाँटे,
क़िसीक़ी राहमें फ़ूल...
हमारी राहमें तूफ़ाँ हैं,
देख़िए क़्या हो.......?
क़मर मुरादाबादी
8517पाई न क़ोई मंज़िल,पहुँचीं न क़हीं राहें...भटक़ाक़े रहीं मुझक़ो,आवारा ग़ुज़रग़ाहें.......शानुल हक़ हक़्क़ी
8518
ज़ो ज़िंदग़ीसे न पाए,
नज़ातक़ी राहें...
शक़ील उसक़ो ज़माना,
तबाह क़्या क़रता.......?
सय्यद शक़ील दस्नवी
8519राहक़े तालिब हैं,पर बेराह पड़ते हैं क़दम ;देख़िए क़्या ढूँढते हैं,और क़्या पाते हैं हम llअल्ताफ़ हुसैन हाली
8520
क़ारवाँ तो,
निक़ल ग़या क़ोसों...
राह भटक़े हुए,
क़हाँ ज़ाएँ.......?
ज़क़ी क़ाक़ोरवी
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