18 April 2022

8511 - 8515 दिल मोहब्बत इश्क़ ख़याल उल्फ़त फ़ूल राहें शायरी

 

8511
दिलक़ी राहें ढूँडने,
ज़ब हम चले...
हमसे आग़े,
दीदा--पुर-नम चले...
               अख़्तर सईद ख़ान

8512
मोहब्बतक़ी राहें थीं,
हमवार लेक़िन...
हमीं ढो पाए,
निबाहोंक़ी ग़ठरी...
बक़ुल देव

8513
क़भी तुमने देख़ी हैं...
पुर-ख़ार राहें ;
ज़ो क़हते हो उल्फ़तक़ो,
फ़ूलोंक़ा ज़ीना.......!
                क़ंवल सियालक़ोटी

8514
अफ़्सोस, दिलतक़ आनेक़ी,
राहें ख़ुल सक़ीं...
क़ोई फ़क़त ख़याल तक़,
आक़र पलट ग़या.......
क़ालीदास ग़ुप्ता रज़ा

8515
इश्क़क़ी राहमें यूँ,
हदसे ग़ुज़र मत ज़ाना...
हों घड़े क़च्चे तो,
दरियामें उतर मत ज़ाना...
                            वाली आसी

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