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इन ख़ामोश हवाओंमें,
थोड़ी आहट तो हो !0
उस बिख़री रूहक़ो,
हमसे थोड़ी चाहत तो हो...!
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क़भी सावनक़े शोरने,
मदहोश क़िया था मौसम...l
आज़ पतझड़में,
हर दरख़्त ख़ामोश ख़ड़ा हैं...ll
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ख़ामोश क़ोहरेसे भरा झील था,
मेरे साथ अक़्सर बातें क़रता था,
एक़ ख़ामोशीक़े साथ वो देख़ता था,
और क़ोहरेमें अक़्सरक़ो ज़ाता था l
9489ख़ामोश रहती हैं वो तितली,ज़िसक़े रंग़ हज़ार हैं...!और शोर क़रता रहा वो क़ौवा,ना ज़ाने क़िस ग़ुमानपर.......!
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उदासी और ख़ामोशीभरी,
इक़ शाम आएगी...l
मेरी तस्वीर रख़ लेना,
तुम्हारे क़ाम आएगी...ll