12 May 2017

1308


अपने हर आह की दास्तां अर्ज किया है हमने l
अपने हर जुर्म का बयां दर्ज किया है हमने ll

मुजरिम हुआ ऐ हुस्न, सूली पे लटका दो मुझे l
गुनाह कुबूल है मुझे, तुमसे इश्क किया है हमने ll

मेरे गजल सुबूत हैं, देख लो ऐ दिल के मालिक l
अपने हर आंसू की कीमत वसूल किया है हमने ll

तेरे दर पे मुझे कुछ न मिलेगा, ये जानकर भी l

इस दिल के सहारे तेरी बंदगी किया है हमने ll

1307


कैसा अजीब रिश्ता है
ये दिल आज भी
धोखे में हैं...
और

धोखेबाज आज भी दिल में....!!!

1306


प्रेम कोई व्यवहार थोड़े ही ना है,

कि तू करे,
तो ही मैं करुँ ?

9 May 2017

1305


आ, लिख दूं आज कुछ तेरे बारे में...
मुझे पता है,
तू रोज ढूंढती हैं,

खुद को मेरे अल्फाज़ो में . . . !

1304


वफ़ा करने से मुकर गया है दिल;
अब प्यार करने से डर गया है दिल !
अब किसी सहारे की बात मत करना;

झूठे दिलासों से भर गया है अब यह दिल !!

1303


नादानगी की हद तो देखो...,
मेरे सनम की.......

मुझे खोकर आजकल,
मेरे जैसा ढूँढ रही है !

1302


साक़ी को गिला है कि
उसकी बिकती नहीं शराब...

और एक तेरी आँखें हैं कि
होश में आने नहीं देतीं...

1301



रुठुंगी अगर तुजसे
तो इस कदर रुठुंगी की ,

ये तेरी आँखे मेरी एक
झलक को तरसेंगी !!

8 May 2017

1300


मुझे कोई प्यार करे...
ऐसी फिरयाद नही है मेरी

पर में सबसे प्यार करू...
ऐसा दिल जरूर दिया है रब ने...

1299


अर्थ लापता हैं
या फिर शायद शब्द खो गए हैं,

रह जाती है मेरी हर बात क्यूँ
इरशाद होते होते...

1298


क्या हुआ जो हमसफ़र ना बन सके,
दोस्त ही सही,

ये मोहब्बत भी ना जाने ...
कितने समझौते करवाती है . . .

1297


एक दिल मेरे दिल को ज़ख़्म दे गया
ज़िंदगी भर ना मिलने की कसम दे गया!
लाख फूलों में से चुना था एक फूल

जो काटो से भी गहरी चुबन दे गया !

1296


खुद से भी छुपाई है,
धड़कन अपने सीने की,

हम को जीना पड़ता है,
ख्वाईश कब है जीने की..!!

6 May 2017

1295


बेशक अपनी मंजिल तक जाना है,
लेकिन जहाँ से अपना दोस्त ना दिखे;

वो ऊँचाई किस काम की ...!

1294


लो खत्म हुई,
रंग-ऐ-गुलाल की शोखियां;

चलो यारो फिर,
बेरंग दुनिया में लौट चले . . . ।

1293


मुफ्त में नहीं आता,
यह शायरी का हुनर…
इसके बदले ज़िन्दगी हमसे,

हमारी खुशियों का सौदा करती है…!

1292


कभी बंद आँखों से पढ़ लेती थी,
तुम मेरे साये की आवाज को…
आज भरी महफ़िल में,
मेरे नाम को अनसुना सा कर दिया...

1291


जिंदगी देने वाले, मरता छोड़ गये;
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये;
जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की;

वो जो साथ चलने वाले रास्ता मोड़ गये।

1290


"तेरी चाहत में हम ज़माना भूल गये,
किसी और को हम अपनाना भूल गये,
तुम से मोहब्बत हैं बताया सारे जहाँ को,

बस एक तुझे ही बताना भूल गये......"

1289


गलती इतनी हुई की
तुझें जान से ज्यादा चाहने लगे हम
क्या पता था की मेरी इतनी परवाह

तुझें लापरवाह कर देगी!