14 November 2019

5031 - 5035 वक्त कश्मकश होंठ रिश्ता गलियाँ दाग बात शायरी


5031
वक्त-वक्त की बात है...
कल जो रंग थे;
आज वो दाग हो गये.......!

5032
इन होंठों की भी ना जाने,
क्या मजबूरी होती है...
वही बात छिपाते है,
जो कहनी ज़रूरी होती है...!

5033
इस कश्मकशमें,
सारा दिन गुज़र जाता है की;
उससे बात करू,
या उसकी बात करू.......!

5034
आखिर क्यों...
रिश्तोकी गलियाँ,
इतनी तंग हैं...
शुरुवात कौन करे,
यहीं सोच कर बात बंद है...

5035
गुरुर किस बातका साहब ?
आज मिट्टीके ऊपर,
तो कल मिट्टीके नीचे...

13 November 2019

5026 - 5030 कसम आँख समझ राह ख़ास जवाब रिश्ता करीब दूर बात शायरी


5026
खाई थी कसम उन्होने,
कभी  बात करनेकी...         
कल राहमें मिले,
आँखों आँखोंसे बहुत कुछ कह गए...!

5027
यूँ तो मेरी हर बात,
समझ जाते हो तुम...
फिर भी क्यूँ मुझे,
इतना सताते हो तुम...
तुम बिन कोई और नहीं है मेरा,
क्या इसी बातका फायदा उठाते हो तुम...!

5028
कुछ ख़ास बात नहीं है मुझमें...
बस...
मुझे समझने वाले ख़ास होते हैं...!

5029
जवाब तो हर बातका,
दिया जा सकता है मगर;
जो रिश्तों की अहमियत समझ पाया,
वो शब्दों को क्या समझेंगे.......!

5030
यूँही तू बस इतने करीब रहे...
की बात हो तो भी दूरी लगे...!

5021 - 5025 जिन्दगी वक्त करीब दूर शौक बोझ कायनात नजर बात शायरी


5021
कह दो हर वो बात,
जो जरुरी है कहना...
क्योंकि;
कभी-कभी जिन्दगी भी,
बेवक्त पूरी हो जाती है...

5022
बस इतने करीब रहो...
अगर बात ना भी हो,
तो दूरी ना लगे.......!

5023
कितने शौकसे,
छोड़ दिया तुमने बात करना...
जैसे सदियोंसे तेरे ऊपर,
कोई बोझ थे हम...!

5024
जलवे तो बेपनाह थे,
इस कायनातमें...
ये बात और है कि,
नजर तुमपर ही ठहर गई...!

5025
बात तो कुछ और है,
कुछ और ही बता रहे है...
अपने है इसिलिए,
कुछ ज़्यादा ही सता रहे है...!

12 November 2019

5016 - 5020 दिल जिन्दगी निगाह तलब तमन्ना तन्हा ज़ुल्फ़ जुर्म इल्ज़ाम सलाम ख़्वाब शायरी


5016
तेरी तलबकी हदने,
ऐसा जूऩून बख्शा है सनम...
हम नींदसे उठ गए,
तुझे ख़्वाबमें तन्हा देखकर...!

5017
"ख्वाबों की ज़मीं पर रखा था पाँव,
छिल गया
कौन कहता है...
ख्वाब मखमली होते है.......

5018
इतनीसी ज़िंदगी हैं पर,
ख़्वाब बहुत हैं...
जुर्मका तो पता नहीं पर,
इल्ज़ाम बहुत हैं.......!

5019
 जाने सालों बाद कैसा समां होगा,
क्या पता कौन कहा होगा;
फिर अगर मिलना होगा तो मिलेंगे ख्वाबोंमे,
जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबोंमे.......

5020
हज़ूर आपका भी एह्तराम करता चलूँ l
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूँ ll

निगाह--दिलकी यही आख़री तमन्ना है l
तुम्हारी ज़ुल्फ़के सायेमें शाम करता चलूँ ll

उन्हे ये ज़िदके मुझे देखकर किसीको ना देख l
मेरा ये शौकके सबसे कलाम करता चलूँ ll

ये मेरे ख़्वाबोंकी दुनिया नहीं सही लेकिन l
अब गया हूँ तो दो दिन क़याम करता चलूँ ll

                                                       शादाब लाहौरी

11 November 2019

5011 - 5015 दिल दुनिया आँखें जज्बात अहसास तलब साँस मुलाक़ात शराब हकीक़त ख़्वाब शायरी


5011
ख़्वाबोंमें मिलनेका,
एक फायदा ये भी है...
कि वो मुझे छू लेते हैं,
पूरी दुनियाके सामने...!

5012
तलब करे तो मैं अपनी,
आँखें भी उन्हें दे दूँ...
मगर ये लोग मेरी,
आँखोंके ख़्वाब मांगते हैं...!

5013
बिन दिलके जज्बात अधूरे,
बिन धड़कन अहसास अधूरे... 
बिन साँसोंके ख़्वाब अधूरे,
बिन तेरे हम कब हैं पूरे...!

5014
मुलाक़ातें तो आज भी,
हो जाती हैं तुमसे...
मेरे ख़्वाब किसी मजबूरीके,
मोहताज़ नहीं है.......!

5015
समंदर सारे शराब होते तो,
सोचो कितने फसाद होते...
हकीक़त हो जाते ख़्वाब सारे तो,
सोचो कितने फसाद होते...!
                            मिर्ज़ा ग़ालिब

10 November 2019

5006 - 5010 फ़ुर्सत आँखें शिकवा जरूरत दहलीज़ ख़्वाब ख़्वाहिश शायरी


5006
कभी जो फ़ुर्सत मिले,
तो मुड़कर देख लेना...
तुझे पानेकी ख़्वाहिश,
मुझे आज भी हैं.......!

5007
ख़्वाहिशोंका मोहल्ला बड़ा था,
हम जरूरतोंकी गलीसे मुड़ गये...

5008
जीनेकी ख़्वाहिश थी,
लेकिन अब नहीं है;
शिकवा भी तुमसे,
आखिर मैं क्यूँ करूं...?

5009
ख़्वाहिशें कम हो,
तो पत्थरों पर भी नींद जाती हैं;
वरना मखमल का बिस्तरभी,
चुभता हैं.......

5010
रात देर तक तेरी ख़्वाहिश,
बैठी रहीं आँखोंकी दहलीज़पर... 
खुद आना था तो कोई,
ख़्वाब ही भेज दिया होता...!

8 November 2019

5001 - 5005 कश्मकश दफ़न फरिश्ता हुनर दम अस्लियत ख़्वाहिश शायरी


5001
ये कश्मकश है ज़िंदगीकी,
कि कैसे बसर करें...;
चादर बड़ी करें या...
ख़्वाहिशे दफ़न करे...!

5002
मेरी ख़्वाहिश है की,
मैं फिरसे फरिश्ता हो जाऊँ...
माँसे इस तरह लिपटूँ की,
बच्चा हो जाऊँ.......!

5003
बुलन्दियोंको पानेकी,
ख़्वाहिश तो बहुत है मगर;
दूसरोंको रोंदनेका,
हुनर कहाँसे लाऊँ...

5004
हजारो ख़्वाहिशे ऐसी के...
हर ख़्वाहिशपे दम निकले...!

5005
ख़्वाहि तो रहती है,
के सब मुझे पहचाने !
लेकिन...
डर भी रहता है कि,
कोई मेरी अस्लियत ना पहचाने...!

7 November 2019

4996 - 5000 जिन्दगी जरुरत अधूरा आँखे बेइंतहा बात ख़्वाब ख़्वाहिश शायरी


4996
ख़्वाहिश है की,
तुम मेरी हो...
या फिर,
ये ख़्वाहिश तेरी हो...!

4997
जरुरत और ख़्वाहिश,
दोनो तुम ही हो...
खुदा करे की कोई,
एक तो पुरी हो...!

4998
सिर्फ ख़्वाब होते,
तो क्या बात होती...
वो  तो ख़्वाहिश बन बैठे,
वो भी बेइंतहा.......!

4999
कुछ ख़्वाहिशोंका,
अधूरा रह जाना ही ठीक है;
जिन्दगी जीनेकी ख़्वाहिश,
बनी रहती है.......!

5000
आँखे आपकी हो,
या मेरी हो;
बस इतनीसी ख़्वाहिश है...
कभी नम हो.......!

6 November 2019

4991 - 4995 ज़िंदगी परिंदे कश़मकश इंतज़ार बात दामन ख्वाहिश वादा शायरी


4991
पूछ रही है आज,
मेरी शायरीयाँ मुझसे कि...
कहां उड गये वो परिंदे,
जो वादा किया करते थे...

4992
मुद्दत हो गयी,
इक वादा किया था उन्होनें;
कश़मकशमें हूँ,
याद दिलाऊँ की इंतज़ार करूँ मैं...

4993
वादा करते तो कोई बात होती,
मुझे ठुकराते तो कोई बात होती;
यूँ ही क्यों छोड़ दिया दामन,
कसूर बतलाते तो कोई बात होती...

4994
वादा था ज़िंदगीसे,
करेंगे ख़ुदकुशी...
अपनी ही ज़बान तले
दबके मर गए हम...

4995
हमने तो उसकी हर ख्वाहिश,
पूरी करनेका वादा किया था...
पर हमें क्या पता था की,
हमें छोडना भी उसकी एक ख्वाहिश होगी...!

5 November 2019

4986 - 4990 दुनियाँ मोहब्बत मेहबूब वक्त बात दिल शायरी


4986
दिलमें छुपाके रखी है,
मोहब्बतकी चाहतें...
मेहबूबसे जरा कह दो,
अभी बदला नहीं हूँ मैं...!

4987
बस दिलको जीतनेका,
मक़सद रखना...
वरना दुनियाँ जीतकर तो,
सिकन्दर भी ख़ाली हाथ गया था...

4988
वक्तके पन्ने पलटकर,
फ़िर वो हसीं लम्हे जीनेको दिल चाहता है;
कभी मुस्कुराते थे उनसे मिलकर,
अब उन्हें साथ देखनेको दिल तरस जाता है !

4989
कितने ही दिल,
तोड़ती है ये फरवरी...
यूँ ही नही बनाने वालेने,
इसके दिन घटाये होंगे...!

4990
काश मेरी कही अनकही हर बात,
सिधे तेरे दिलतक पहुंचे...
और वो मूरत बनके तुमसे निकलके,
सिधे मेरे दिलमें समाए.......!
                                               भाग्यश्री