28 April 2020

5786 - 5790 दिल रास्ता चाहत शमा इज़ाफ़ा गुनाह डर दुआ शायरी



5786
दुआ करो मैं कोई,
रास्ता निकाल सकूँ...
तुम्हे भी देख सकूँ,
खुदको भी सम्भाल सकूँ...!

5787
हम ये नहीं चाहते की,
कोई आपके लिए दुआ ना मांगे...
हम तो बस इतना चाहते हैं की,
कोई दुआमें आपको ना मांगे...

5788
कर लो इज़ाफ़ा,
तुम अपने गुनाहोंमें...
मांग लो एक बार,
हमको दुआओं में...

5789
डरते हैं तुमसे कुछ कहनेसे,
और रोज मरते हैं, ना कहनेसे;
बस इतनी ही दुआ करते हैं खुदासे,
हम बुझे ना यह शमा कभी...
जो हमने जलाके हैं.......

5790
दुआ करना, दम भी...
उसी दिन निकले...
जिस दिन तेरे,
दिलसे हम निकले...!

26 April 2020

5781 - 5785 दिल तलब ख्वाहिश कुबूल याद हक़ दामन अलफ़ाज़ दुआ शायरी


5781
तलब ये नही की मैं,
तुम्हारा हो जाऊँ...
ख्वाहिश ये हैं की तुम्हारी दुआ बनूं,
और कुबूल हो जाऊँ.......!

5782
हर एक दुआमें,
हम तो यही कहते हैं...
वो सदा खुश रहें,
जो दिलमें मेरे रहते हैं...!

5783
मेरी यादोकी शुरुआत ही,
तुमसे होती हैं...!
तुम ये कहाँ करो,
मुझे दुआओमें याद रखना...!!!

5784
मेरा हक़ नहीं हैं,
तुमपर ये जानता हूँ मैं...
फिर भी ना जानें क्यूँ दुआओंमें,
तुझको माँगना अच्छा लगता हैं...!

5785
दामनको फैलाये बैठे हैं,
अलफ़ाज़--दुआ कुछ याद नहीं...
माँगू तो अब क्या माँगू,
जब तेरे सिवा कुछ याद नहीं.......!

25 April 2020

5776 - 5780 क़िस्मत वहम मौत दुख ज़हर दर्द दवा शायरी


5776
दर्द हो तो,
दवा भी मुमकिन हैं...
वहमकी क्या,
दवा करे कोई...?
               यगाना चंगेज़ी

5777
दर्द हो तो,
दवा करे कोई...
मौत ही हो तो,
क्या करे कोई...?
रियाज़ ख़ैराबादी

5778
दर्द हो, दुख हो,
तो दवा कीजे;
फट पड़े आसमाँ,
तो क्या कीजे...?
             जिगर बरेलवी

5779
मौत ही आपके बीमारकी.
क़िस्मतमें थी...
वर्ना कब ज़हरका मुमकिन था,
दवा हो जाना.......!
अहसन मारहरवी

5780
बीमारको मरज़की,
दवा देनी चाहिए...!
मैं पीना चाहता हूँ,
पिला देनी चाहिए...!!!
                  राहत इंदौरी

24 April 2020

5771 - 5775 दिल इश्क़ ग़म दुख नादाँ चाहत जुदा दर्द दवा शायरी


5771
दिल--नादाँ,
तुझे हुआ क्या हैं...
आख़िर इस दर्दकी,
दवा क्या हैं.......
                  मिर्ज़ा ग़ालिब

5772
ग़म--दिल अब,
किसीके बसका नहीं;
क्या दवा, क्या दुआ,
करे कोई.......
हादी मछलीशहरी

5773
इश्क़को दीजिए,
जुनूँमें फ़रोग़...
दर्दसे दर्दकी,
दवा कीजिए...
            जिगर बरेलवी

5774
जानता उसको हूँ,
दवाकी तरह...
चाहता उसको हूँ,
शिफ़ा की तरह...!
हक़ीर

5775
मेरे दुखकी,
दवा भी रखता हैं...
ख़ुदको मुझसे,
जुदा भी रखता हैं...!
              विशाल खुल्लर

23 April 2020

5766 - 5770 ज़िन्दगी इश्क़ रुस्वा दुःख हमसफ़र जाम जहर दर्द दवा शायरी


5766
ज़िन्दगी हैं चार दिनकी,
कुछ भी ना गिला कीजिये;
दवा जाम इश्क़ या जहर,
जो भी मिले मजा लीजिये !

5767
मेरे दुःखकी कोई,
दवा न करो...
मुझको मुझसे अभी,
जुदा न करो...
सुदर्शन फा़खि़र

5768
काबा भी हम गए,
न गयापर बुतोंका इश्क़ !
इस दर्दकी ख़ुदाके भी घरमें,
दवा नहीं.......!
                           अमीर मीनाई

5769
दोनोंने किया हैं,
मुझको रुस्वा...
कुछ दर्दने और,
कुछ दवाने.......
वहशत रज़ा अली कलकत्वी

5770
ज़िंदगी दर्द भी,
दवा भी थी...
हमसफ़र भी,
गुरेज़ पा भी थी.......
    अमजद इस्लाम अमजद

5761 - 5765 कदर जिंदगी हाल इश्क माहौल मुस्कराहट दुआ दवा शायरी


5761
कदर करना सिख लो,
ना जिंदगी वापस आती हैं,
ना जिंदगीमें आये हुये लोग...
कई बार तबियत दवा लेनेसे नहीं,
हाल पूछनेसे भी ठीक हो जाती हैं...

5762
नींद आनेकी दवाईयाँ हजार हैं;
ना आने के लिए इश्क काफी हैं...!

5763
ऐसे माहौलमें दवा क्या हैं,
दुआ क्या हैं...?
जहाँ कातिलही खुद पूछे की,
हुआ क्या हैं...?

5764
किसी दवासे,
आराम नहीं था हमें;
आपकी मुस्कराहट,
वो काम कर गई...!

5765
हम दोनोंको कोई भी,
बीमारी नहीं हैं...
फिर भी वो मेरी और,
मैं उसकी दवा हूँ.......!

5756 - 5760 प्यार वफ़ा तलाश बेवफा हस्ती खबर दीदार जिक्र तकाजा नादान शायरी



5756
मैं नादान था जो वफ़ाको,
तलाश करता रहा ग़ालिब...
यह सोचा के एक दिन,
अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी...!

5757
संभलकर चल नादान,
ये इंसानोकी बस्ती हैं...
ये रबको भी आजमा लेते हैं,
तेरी क्या हस्ती हैं.......

5758
नादान आईनेको,
क्या खबर...
कि एक चेहरा,
चेहरेके अन्दर भी होता हैं...!

5759
तेरा दीदार तेरा जिक्र,
तुझसे प्यार भरी बातें...
तकाजा ये दिल--नादानका,
सुबह शाम यही रहता हैं.......!

5760
कभी वो मुझे अपना,
तो कभी गैर कहते गये l
देखो मेरी नादानी,
हम सिर्फ उन्हें अपना कहते गये ll

21 April 2020

5751 - 5755 कामयाबी सफ़र धूप आफ़ताब चाँदनी ख़्याल मौसम धूप शायरी



5751
देख तू सबा बनकर,
गर्म धूप भी बनकर देख;
कभी आफ़ताबसा तेज़ तो हो,
कभी चाँदनी बन लिपटकर देख...!

5752
धूप छूती हैं बदनको,
जब शमीम...
बर्फ़के सूरज,
पिघल जाते हैं क्यूँ...
फ़ारूक़ शमीम

5753
कामयाबी--सफ़रमें,
धूप बड़ी काम आई...
छांव अगर होती तो,
सो गये होते.......!

5754
मैं अपने आँगनमें,
बस उतनी ही धूप चाहता हूँ...
जिसमें मेरे ख़्याल,
सूखने पायें...!

5755
धूप सा रंग हैं और,
खुद हैं वो छाँवो जैसा...!
उसकी पायलमें,
बरसातका मौसम छनके...!!!
                         क़तील शिफ़ाई

20 April 2020

5746 - 5750 ज़िंदगी ज़िंदगानी अंजाम इब्तिदा अजनबी कहानी शायरी



5746
आप-बीती कहो,
कि जग-बीती...
हर कहानी,
मिरी कहानी हैं...!
        फ़िराक़ गोरखपुरी

5747
ज़िंदगी क्या हैं,
इक कहानी हैं l
ये कहानी,
नहीं सुनानी हैं ll
जौन एलिया

5748
वो दिन गुज़रे कि जब,
ये ज़िंदगानी इक कहानी थी;
मुझे अब हर कहानी,
ज़िंदगी मालूम होती हैं...
                               निसार इटावी

5749
जिसे अंजाम,
तुम समझती हो...
इब्तिदा हैं,
किसी कहानी की...
सरवत हुसैन

5750
वो एक दिन,
एक अजनबी को,
मिरी कहानी,
सुना रहा था...
                      गुलज़ार

19 April 2020

5741 - 5745 नज़र ख़ामोश फ़साना हैं दुनिया किरदार कहानी शायरी



5741
इक नज़रका,
फ़साना हैं दुनिया...
सौ कहानी हैं,
इक कहानीसे.......!
                नुशूर वाहिदी

5742
ख़ामोश सही मरकज़ी,
किरदार तो हम थे;
फिर कैसे भला,
तेरी कहानीसे निकलते ?
सलीम कौसर

5743
आपकी मेरी,
कहानी एक हैं...
कहिए अब मैं,
क्या सुनाऊँ, क्या सुनूँ...
          मैकश अकबराबादी

5744
सभी किरदार,
थककर सो गए हैं l
मगर अब तक,
कहानी चल रही हैं ll
ख़ावर जीलानी

5745
हर कहानी,
मिरी कहानी थी...
जी बहला,
किसी कहानीसे...!
         साक़ी अमरोहवी

18 April 2020

5736 - 5740 सुब्ह साया मुख रूप मयस्सर पल वक़्त हसरत शजर धूप शायरी


5736
बैठाही रहा सुब्हसे,
मैं धूप ढलेतक...
सायाही समझती रही,
दीवार मुझे भी.......
             शहज़ाद अहमद

5737
धूप ही धूप थी,
इसके मुखपर;
रूप ही रूप,
हवामें उतरा l
नासिर शहज़ाद

5738
मयस्सर फिर होगा,
चिलचिलाती धूप में चलना...
यहींके हो रहोगे,
साएमें इक पल अगर बैठे...
                         शहज़ाद अहमद

5739
सुना हैं धूपको,
घर लौटने की जल्दी हैं;
वो आज वक़्तसे पहलेही,
शाम कर देगी.......
सदार आसिफ़

5740
तमाम लोग इसी हसरतमें,
धूप धूप जले...
कभी तो साया घनेरे,
शजरसे निकलेगा...
                   फ़ज़ा इब्न--फ़ैज़ी

17 April 2020

5731 - 5735 दिल याद करवट धडकन मुश्किल हौसले मुश्किल मेहमान आँख ख्वाब शायरी



5731
दब गई थी नींद,
कहीं करवटोंके बीच;
दरपर खड़े रहें,
कुछ ख्वाब रात भर !

5732
काश तुम्हें ख्वाब ही जाये,
की हम तुम्हे कितना याद करते हैं...!

5733
शोर ना कर धडकन,
जरा थम जा कुछ पलके लिए...
बडी मुश्किलसे मेरी आँखोंमें,
उसका ख्वाब आया हैं.......!

5734
ख़्वाब टूटे हैं,
मगर हौसले तो ज़िंदा हैं l
हम वो शक्स हैं,
जहाँ मुश्किलें शर्मिंदा हैं ll

5735
दिलमें घर करके बैठे हैं,
ये जो ज़िद्दीसे ख़्वाब...
कागजपें उतार मैं,
वो सारे मेहमान ले आऊँ...!