17 March 2019

4001 - 4005 जिंदगी ज़ुल्फे आँखे हसीन मौका शोर दर्द गहरा याद मोहब्बत एहसास तन्हाई शायरी


4001
किसीने पूछा कौन याद आता हैं,
अक्सर तन्हाईमें...
मैने कहां, कुछ पुराने रास्ते, खुली ज़ुल्फे,
और बस दो आँखे...!

4002
कौन कहता हैं की,
तन्हाईयाँ अच्छी नहीं होती...
बड़ा हसीन मौका देती हैं ये,
ख़ुदसे मिलनेका.......!

4003
रंगीनियाँ जिंदगीकी,
तन्हाई भरी काली रातोंसे हैं...
दिनकी आबो हवा,
तुम्हारे नामका शोर मचाती हैं...!

4004
"हाथसे नापता हूँ,
दर्दकी गहराईको...
यह नया खेल मिला हैं,
मेरी तन्हाईको.......!"

4005
किसीको बार-बार,
एहसास दिलाना पड़े...
ऐसी मोहब्बतसे तो,
तन्हाई ही अच्छी.......

3996 - 4000 मोहब्बत कद्र दिल्लगी घायल फ़साना जज़्बात महफिल लफ़्ज अलफ़ाज़ तन्हाई शायरी


3996
हमारी कद्र उनको होगी,
तन्हाईयोमें एक दिन...
अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास,
दिल्लगी करनेके लिये...!

3997
ना कोई फ़साना हैं,
ना कोई जज़्बात;
मेरी तन्हाई और कुछ...
अनकहे अलफ़ाज़.......

3998
बिखरे अरमान भीगी पलकें,
और ये तन्हाई...
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बतमें,
कुछ भी नहीं.......।

3999
अजबसे वो दिन थे,
अजबसी वो रातें;
तन्हाईमें तन्हाईसे,
तन्हाईकी बातें.......।

4000
लफ़्जोकी दहलीजपर,
घायल जुबान हैं...
कोई तन्हाईसे,
तो कोई महफिलसे परेशान हैं...!

16 March 2019

3991 - 3995 मुस्कुराहट खुश समझ जमीर गम लफ़्ज दिलोजान खबर मीठा आजकल शायरी


3991
बस वो मुस्कुराहट ही,
कहीं खो गई हैं...
बाकी तो मैं भी,
बहुत खुश हूँ आजकल...!

3992
आजकल समझकी,
बड़ी नासमझ हैं;
तभी तो अपने पराये,
पलमें हो जाते हैं...

3993
हर रोज आजकल,
मैं सरेआम बिकता हूँ...
मैं जमीर हूँ साहब,
आजकल कहाँ टिकता हूँ...

3994
खुशियाँ तो आजकल,
बोतलोंमें बंद हो गयी हैं...
गम जब बढ़ जाता हैं,
तो खरीद लाते हैं...।

3995
गुनगुनाते हैं हम लफ़्ज आपके आजकल,
चाहते हैं दिलोजानसे आपको आजकल;
इतना सून लो आप बेखबर,
आपके बिना कुछ मीठा हीं आजकल

14 March 2019

3986 - 3990 मोहब्बत दीवाना पाबंद वक्त आवारगी तंग बात अलफ़ाज़ राज फतेह गुरुर आजकल शायरी


3986
रात तो पाबंद हैं,
वक्तपर लौट जाती हैं...
नींदे आवारगी करती फिरती हैं,
आजकल.......!

3987
तंग नहीं करते हैं हम,
उन्हें आजकल...
ये बात भी,
उन्हें बहुत तंग करती हैं...!

3988
छुपाने लगा हूँ आजकल,
कुछ राज अपने आपसे;
सुना हैं कुछ लोग मुझको,
मुझसे ज्यादा जानने लगे हैं।

3989
आजकल अलफ़ाज़ नही मिलते,
लिखनेको...
मोहब्बतने हमे फिर,
दीवाना बना दिया.......!

3990
अपनी हर फतेहपर,
इतना गुरुर मत कर;
मिट्टीसे पूछ आजकल,
सिकंदर कहाँ हैं.......!

13 March 2019

3981 - 3985 दिल सुकून याद यार हाल जख्म जालिम फैसले वक्त रिश्ते आँख आजकल शायरी


3981
मकसद तो दिलके,
सुकूनका ही था;
कोई मंदिर चला गया...
कोई मधुशाला.......l

3982
दिल अब छोड़ भी दे,
उसे याद करना...
वो कलमा हीं जो तू भूल गया तो,
काफिर हो जायेगा.......l

3983
उसके हर जख्मपर,
दिल निसार होता हैं...
जालिम कितना भी हो,
यार तो यार होता हैं...!

3984
अपने दिलका हाल,
मैने पुछा हीं l
कोई कहता हैं,
वो आजकल अच्छा हीं ll

3985
कुछ हँसके बोल दिया करो,
कुछ हँसके टाल दिया करो l
यूँ तो बहुत परेशानियाँ हैं,
तुमको भी मुझको भी...
मगर कुछ फैसले,
वक्तपें डाल दिया करो l
जाने कल कोई,
हँसाने वाला मिले मिले...
इसलिये आज ही,
हसरत निकाल लिया करो ll
समझौता करना सीखिए,
क्योंकि थोड़ासा झुक जाना,
किसी रिश्तेको हमेशाके लिए...
तोड़ देनेसे बहुत बेहतर हैं ll
किसीके साथ हँसते-हँसते,
उतने ही हकसे रूठना भी आना चाहिए...
अपनोकी आँखका पानी धीरेसे,
पोंछना आना चाहिए l
रिश्तेदारी और दोस्तीमें,
कैसा मान अपमान...?
बस अपनोंके दिलमें,
रहना आना चाहिए.......!
                                              गुलज़ार

28 February 2019

3976 - 3980 ज़िन्दगी बात आवाज बाजार दर्द खामोशी फ़रेब यक़ीन उदास दिल शायरी


3976
दिलपें ना लीजिये,
अगर कोई आपको बुरा कहे;
ऐसा कोई नहीं हैं जिसे,
हर शख्स अच्छा कहे...

3977
मुहकी बात सुने हर कोई,
दिलके दर्दको जाने कौन...
आवाजोंके बाजारोंमें,
खामोशी पहचाने कौन...

3978
दिलकश नग़मे,
दिलफ़रेब मौसम तुम...
यक़ीन करनेको काफी हैं,
कि ज़िन्दगी ख़ूबसूरत हैं

3979
उसने पुछा...
ज़िन्दगी किसने बरबाद की,
हमने ऊँगली उठाई और...
अपने ही दिलपर रख ली...।

3980
दिल चाहता हैं,
आज रो लूँ मैं जी भरके...
ना जाने किस-किस बातपर,
उदास हूँ.......

26 February 2019

3971 - 3975 इश्क दर्द फर्क नज़र आँख आँसू याद आँगन मिज़ाज दीवार आईना दिल शायरी


3971
मेरे इश्कमें दर्द नहीं था,
पर दिल मेरा बेदर्द नहीं था;
होती थी मेरी आँखोंसे नीरकी बरसात,
पर उनके लिए आँसू और पानीमें फर्क नहीं था...

3972
आज एक ज़माने बाद,
उनको हमारी याद आयी;
दिल खुश तो हुआ लेकिन,
फिर भी आँखें भर आयी...!

3973
आँगनमें होती तो हम गिरा भी देते,
कमबख़्त;
कुछ लोगोंने दीवारें...
दिलमें उठा रक्खी हैं.......!

3974
अगर मैं भी मिज़ाजसे,
पत्थर होता...
या तो खुदा होता...
या तेरा दिल होता.......!

3975
आपसे दूर भला हम कैसे रह पाते;
दिलसे आपको कैसे भुला पाते;
काश कि आप इस दिलके अलावा,
आईनेमें भी रहते...
देखते जब आईना खुदको देखनेको...
तो वहाँ भी आप ही नज़र आते.......!

25 February 2019

3966 - 3970 जिन्दगी नादान गम मोहब्बत तमन्ना दौलत नजर हुनर नाज़ दस्तक याद उदास दिल शायरी


3966
दिल रोज सजता हैं,
नादान दुल्हनकी तरह...
गम रोज चले आते हैं,
बाराती बनकर.......!

3967
तमन्ना जब किसीकी नाकाम होती हैं,
जिन्दगी उसकी एक उदास शाम होती हैं,
दिलके साथ दौलत ना हो जिसके पास,
मोहब्बत उस गरीबकी निलाम होती हैं !

3968
बहुत खुबसुरत हैं हँसी उनकी,
लेकिन वो मुस्कुराते ही कम हैं;
दिल चाहता हैं देखते रहें उनकी झीलसी आँखोंको,
लेकिन वो नजर मिलाते ही कम हैं...।

3969
बड़ी बारीकीसे तोडा हैं,
उसने दिलका हर कोना...
मुझे तो सच कहुँ...
उसके हुनरपें नाज़ होता हैं...!

3970
दिलमें जोरसे,
दस्तक दे रहा हैं कोई...
लगता हैं उनकी यादोंके,
आनेका वक़्त हो गया.......!

23 February 2019

3961 - 3965 जिन्दगी उल्फ़त आँख क़त्ल धडकना साँस याद शौक मजबूर फरियाद परवाह दिल शायरी


3961
हाथोंमें उल्फ़तका नाम होता हैं,
आँखोंमें छलकता जाम होता हैं;
खंजरकी ज़रूरत हैं यहाँ किसे...
यहाँ आँखोंसे क़त्लेआम होता हैं...!

3962
तुझे याद करना भी अब,
दिलका धडकनासा बन गया हैं...
पता ही नहीं ज़िन्दगी,
साँसोंसे चल रही हैं... या तेरी यादोंसे...!

3963
हर कोई किसीकी,
मजबूरी नही समझता...
दिलसे दिलकी,
दुरी नही समझता...
कोई तो किसीके बिना,
मर मरके जीता हैंऔर...
कोई किसीको याद करना भी,
जरूरी नही समझता...

3964
शौकसे तोड़ो दिल मेरा,
मुझे क्या परवाह...
तुम ही रहते हो इसमें,
अपना ही घर उजाडोगे...!

3965
साथ ना छूटे आपसे कभी,
यह दुआ करता हूँ;
हाथोंमें सदा आपका हाथ रहे,
बस यही फरियाद करता हूँ;
हो भी जाये अगर कभी,
दूरी हमारे दरमियान;
दिलसे ना हों जुदा,
रबसे यही इल्तिजा करता हूँ...