5 August 2016

475 चहेरे मुश्कुराहट खुशी पीछे छुपे हजार गम मुकद्दर सिला खुशनसीब शायरी


475

Khushnasib, Lucky

अपने मुकद्दरका ये सिला भी क्या कम हैं...
एक खुशीके पीछे छुपे हजारो गम हैं...
चहेरेपें लिये फिरते हैं मुश्कुराहट फिर भी
और लोग कहते हैं, कितने खुशनसीब हम हैं…

The Series of my Luck is so Endlessly...
Thousands of Pains are hidden behind Happiness...
Still I roam wearing Mask of Smiling on the Face...
And people say, How Lucky I am...

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