23 August 2016

509 पुरानी अल्फ़ाज़ याद पन्ने पलट किताब शायरी


509

Kitab, Book

एक किताबकी तरह हूँ मैं,
कितनी भी पुरानी हो जाए...
पर उसके अल्फ़ाज़ नहीं बदलेंगे;
कभी याद आये तो,
पन्ने पलटकर देखना...
हम कल जैसे थे, आज भी वैसे हैं,
और...
कल भी वैसे ही मिलेंगे...!

I am Like a Book,
May it become Older and Older...
Its Wording will not Change;
If you memories,
Flip the Pages...
Today I am, as was Like Before
And...
In fortune will be the Same...!

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