31 August 2016

516 ज़माने गुनाह बेक़सूर शायरी


516

Bekasoor, Innocent

बेक़सूर कौन होता हैं,
इस ज़मानेमें...
बस सबके गुनाह,
पता नहीं चलते l

Who is Innocent,
In today's Life...
Only every bodies Crimes,
are not known.

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