4 August 2016

467 मोहब्बत नाजुक कमबख्त चाह तोड़ पत्थरदिल शायरी


467

Patthar Dil, Stone-Heart

ना कहो पत्थरदिल मुझे,
मेरे चाहनेवालों...
नाजुक थी मेरी मोहब्बत,
कमबख्त उसे भी तोड़कर गयी...!

Don't call me Stone-Heart,
Oh my Fans...
My Love was Fragile,
Damned, Broke me away...!


No comments:

Post a Comment