9 August 2016

495 ज़िन्दगी इश्क ज़ख्म ज़रूरी बेमिसाल शायरी


495

Bemisal, Incomparable

ज़रूरी तो नहीं के ,
शायरी वो ही करे जो इश्कमें हो,
ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म...
बेमिसाल दिया करती हैं !!!

Not necessary that,
Writting Poetry should be in Love,
Life also Hurts ...
in Incomparable way !!!

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