7 June 2017

1378 सुन खामोश सिसकियाँ आवाज़ रोना शायरी


1378
तू सुन पाता,
खामोश सिसकियाँ मेरी...
आवाज़ करके रोना तो मुझे,
आज भी नहीं आता...।

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