रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई,
दिल की दुनियां पे छा गया कोई...
ता कयामत किसी तरह न बुझे,
आग ऐसी लगा गया कोई...
दिल की दुनियां उजाड़ सी क्यूं हैं,
क्या यहां से चला गया कोई...
वक्त-ए-रुखसत गले लगाकर ‘दाग़’.
हंसते-हंसते रुला गया कोई...!
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