6 June 2017

1374 दिल उजड़ कब्र ज़िंदा शायरी


1374
फिर नहीं बसते वो दिल,
जो एक बार उजड़ जाते हैं...
कब्रें जितनी भी सजालो पर...
कोई ज़िंदा नहीं होता...

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