2 December 2019

5121 - 5125 मोहब्बत खबर नजारे आँखे हाल सज़ा रिश्ते शर्त फ़क़ीर बेहतर शायरी


5121
तुझे शायद खबर नहीं,
मेरे बेइन्तहा मोहब्बत की...
अब बेहतर भी यहीं है की,
तु बेखबर ही रहे.......!

5122
तुमसे बेहतर तो नहीं है,
ये नजारे...
तुम जरा आँखसे निकलो,
तो इन्हें भी देखुँ.......!

5123
तुझे तेरे हालपर छोड़ दिया...
इससे बेहतर तेरी सज़ा क्या होगी.......

5124
हमेशा समझोता करना सीखो,
क्यूंकि थोडासा झुक जाना,
किसी रिश्तेका हमेशाके लिए,
टूट जानेसे बेहतर है ll

5125
दूसरेकी शर्तोंका,
सुलतान बननेसे बेहतर है;
अपनी ही मौजका,
फ़क़ीर बने रहना.......

1 December 2019

5116 - 5120 ज़िंन्दगी इरादे आँखे दुवा दस्तक आवाज़ दु:ख खुशी शायरी


5116
ज़िंन्दगी,
तू खेलती बहुत है खुशियों से...
हम भी इरादेके पक्के हैं,
मुस्कुराना नहीं छोडेंगे...!

5117
आँख खुलते ही,
याद जाता हैं तेरा चेहरा...
दिनकी ये पहली खुशी भी,
कमाल होती है.......!

5118
जो लोग दुसरोंको,
अपनी दुवाओंमे शामिल करते है...
खुशीयाँ सबसे पहले,
उनके दरवाजेपर दस्तक देती है...!

5119
बहुत खास होते हैं वो लोग,
जो आपकी आवाज़से...
आपकी खुशी और दु:खका,
अंदाज़ा लगा लेते हैं.......!

5120
कल खुशी मिली थी...
जल्दीमॆं थी,
रूकी नही.......
                      गुलजार

5111 - 5115 वक्त याद जज़्बात इनकार ताल्लुक तबाही आँसू आँख शायरी


5111
इनकार कर दिया आँसूओंने,
आँखमें आनेसे...
क्यूँ गिराते हो हमे,
एक गिरे हुए शख्सकी खातिर...

5112
बहुत अन्दर तक,
तबाही मचाता है...
वो आँसू...
जो आँखसे बह नहीं पाता...


5113
कब तक बहाना बनाते रहें,
आँखमें कचरा चले जानेका...
ले आज सरेआम कहते हैं,
तुझे याद करके रोते हैं.......!

5114
कमी तो होनी ही है,
पानीकी, शहरमें...
किसीकी आँखमें बचा है,
किसीके जज़्बातमें...

5115
वक्तकी धुंधमें हरदम,
छुप जाते हैं ताल्लुक...
बहुत दिनों तक किसीकी,
आँखसे ओझल ना रहिये...

30 November 2019

5106 - 5110 जिंदगी ख़्याल रिश्ता तस्वीर अंदाज़ लफ्ज बेइंतहा मोहब्बत नाराज परवाह शायरी


5106
एक परवाह ही बताती है कि,
ख़्याल कितना है;
वरना कोई तराजू नहीं होता,
रिश्तोमें.......

5107
हम भी मुस्कुराते थे कभी,
बेपरवाह अंदाज़में...
देखा है खुदको आज,
एक पुरानी तस्वीरमें...!

5108
मेरे लफ्जोंको,
वो तासीर दे, खुदा...
लोग वाह-वाह ना करें,
पर परवाह करे.......

5109
उजड़ जाते हैं,
सिरसे पाँव तक वो लोग;
जो किसी बेपरवाहसे,
बेइंतहा मोहब्बत करते हैं...

5110
उनसे क्या नाराजगी रखना जिंदगी...
जिन्हें तुम्हारी परवाह तक भी नहीं.......

29 November 2019

5101 - 5105 मोहब्बत हिफाज़त सबूत जरूरत इजहार आँख नजर बयान लफ्ज परवाह इस्तेमाल शायरी


5101
ढूंढना ही है तो,
परवाह करने वालोंको ढूंढ़िये...
इस्तेमाल करने वाले तो ख़ुद ही,
आपको ढूंढ लेंगे.......!

5102
लफ्ज़ोंका इस्तेमाल,
हिफाज़तसे करिये...
ये परवरिशका,
बेहतरीन सबूत होते हैं...!

5103
जरूरतसे ज्यादा,
अच्छे बनोगे तो...
जरूरतसे ज्यादा,
इस्तेमाल किये जाओगे...!

5104
इजहार--मुहब्बतमें यूँ...
लफ्जो का इस्तेमाल ना कर;
मै आँखोंसे सुन लूंगा...
तू नजरोंसे बयान तो कर !!!

5105
इंसान भी कमाल करते हैं,
इतने सारे यंत्र बना लिए...
फिर भी,
एक दूसरेका इस्तेमाल करते हैं...

27 November 2019

5096 - 5100 याद सपने तरीके ठोकर आँसू दहलीज़ चोंट ठोकर मरहम शायरी


5096
सपने उन्हें आते होंगे,
हमे तो बस...
याद आती है.......!

5097
आँखोंकी दहलीज़पे आके,
सपना बोला आँसूसे...
घर तो आख़िर घर होता है,
तुम रह लो या मैं रह लूँ.......

5098
वो सपना देखो जो टूट जाये,
वो हाथ थामो जो छूट जाये;
मत आने दो किसीको करीब इतना,
कि उसके दूर जानेसे इंसान खुदसे रूठ जाये...

5099
यदि सपने सच नहीं हो,
तो तरीके बदलो;
सिद्धान्त नहीं l
पेड़ हमेशा पत्तियाँ बदलते हैं,
जड़ें नहीं ll

5100
तकदीर,
तेरे पैरोंको मरहम लगा दूँ...
कुछ चोंटे
तूझे भी आयी होंगी,
मेरे सपनोंको
ठोकर मारते मारते.......

26 November 2019

5091 - 5095 जिदंगी उम्र हमसफ़र नाराज सुख दुनिया रिश्ता शायरी


5091
जिदंगीमें कभी भी किसीको,
बेकार मत समझना, क्यो क़ि...
बंद पडी घडी भी दिनमें,
दो बार सही समय बताती है...!

5092
पसीना उम्रभरका,
उसकी गोदमें सूख जायेगा...
हमसफ़र क्या चीज है,
ये बुढ़ापेमें समझ आयेगा...!

5093
हमें कहाँ मालूम था कि,
सुख और उम्रकी आपसमें बनती नहीं...
कड़ी महेनतके बाद सुखको घर ले आये,
तो उम्र नाराज होकर चली गई.......

5094
दुनियाका रवैया भी बडा अजीब है l 
मरे हुए इँसानको कन्धां देना,
पुण्य समझती है;
और जिन्दा आदमीको,
सहारा देनेसे कतराती है.......ll

5095
इस कदर जो,
आपको हँसा रहा हूँ मैं...
समझना कोई,
रिश्ता बना रहा हूँ मैं...
स्वार्थ है मेरा,
और स्वार्थी हूँ मैं...
बस अपनी अर्थीके पीछे,
चलने वालोकी...
तादात बढ़ा रहा हूँ मैं.......!

25 November 2019

5086 - 5090 जिन्दगी मुश्किल उम्र कमजोर इन्सानियत समझ शायरी


5086
क़ाश,
समझना...
समझाने जितना,
आसान होता.......

5087
जिन्दगीको समझना बहुत मुश्किल हैं;
कोई सपनोंकी खातिर अपनोंसे दूर रहता हैं,
और कोई अपनोंके खातिर सपनोंसे दूर.......

5088
शीशेकी तरह,
आर पार हूँ...
फिर भी,
अपनोंकी समझसे बाहर हूँ...!

5089
ऐसा लगता है,
बड़ा मुश्किल सवाल था 'मैं'...
तभी तो उम्रभर मुझे,
कोई भी समझ नहीं पाया.......!

5090
मैं झुक गया तो,
आप कमजोर समझ बैठे...
मैं तो इन्सानियत निभा रहा था,
आप खुदको ईश्वर समझ बैठे...!

5081 - 5085 प्रेम रिश्ते मासूमियत दिल ग़लतफ़हमी आँखे फितरत मज़बूर समझ शायरी


5081
रिश्तेका नूर,
मासूमियतसे हैं...
ज्यादा समझदारियोंमें,
रिश्ते घटने लगतें हैं...!

5082
दिलोंमें बस गये,
जबसे ग़लतफ़हमीके कुछ साये...
ना हम उनको समझ पाये,
ना वो हमको समझ पाये.......

5083
अच्छा सुनो ना.......
जरूरी नही हर बार शब्द ही हो !
कभी ऐसा भी हो,
कि मैं सोचूं...
और तुम समझके वैसा करो...!

5084
आँखे एक ही भाषा,
समझती है प्रेमकी...
मिले तो भी छलकती हैं,
मिले तो भी.......!

5085
मैं दिया हूँ...
मेरी फितरत हैं उजाला करना !
और वो समझते हैं,
मज़बूर हूँ जलनेके लिये.......!

24 November 2019

5076 - 5080 ज़िन्दगी नादान जीवन मुश्किल लफ़्ज़ तजुर्बा उलझन समझ शायरी


5076
कहाँ मिलता हैं,
कभी कोई समझने वाला...
जो भी मिलता हैं,
समझा के चला जाता हैं...

5077
नादान लोग ही,
जीवनका आनंद लेते हैं;
हमने ज्यादा समझदारोंको,
मुश्किलोमे ही देखा हैं...

5078
अब समझ लेते हैं,
मीठे लफ़्ज़की कड़वाहटें...
हो गया है ज़िंदगीका,
तजुर्बा थोड़ा बहुत.......

5079
ज़िन्दगीकी उलझने,
हमारी शरारते कम कर देती हैं;
और लोग समने लगते हैं,
हम समझदार हो गए.......

5080
जायका अलग हैं,
हमारे लफ़्जोका...
कोई समझ नहीं पाता,
कोई भुला नहीं पाता...!

22 November 2019

5071 - 5075 ज़िन्दगी जज़्बात रिश्ता खूबसूरत सज़ा गुनाह मतलब समझ शायरी


5071
कम ही होते हैं,
जज़्बातोंको समझने वाले;
इसलिए शायद,
शायरोंकी बस्तियाँ नहीं होती...!

5072
अच्छे रिश्तोंको वादे और,
शर्तोंकी जरूरत नहीं होती...
बस दो खूबसूरत लोग,
एक निभा सके दूसरा समझ सके...!

5073
मरने वालेको रोने वाले,
हजार मिल जायेंगे मगर...
जो जिंदा हैं उसे समझनेवाला,
एक भी नही मीलता.......

5074
ऐसे ही गुज़ार ली ज़िन्दगी मैने,
कभी खुदा कि रज़ा समझकर...
तो कभी अपने गुनाहोंकी,
सज़ा समझकर...


5075
यूँ असर डाला हैं,
मतलबी लोगोंने दुनियापर...
हाल भी पूछो तो,
लोग समझते हैं कि कोई काम होगा...!