27 December 2019

5241 - 5245 दिल कसमें रस्में फ़रियाद सिमट बिखर दर्द बरकत याद शायरी


5241
ये ,
ये ज़माने का डर...
रुलाएगी मुझे बहुत,
तेरी याद उमर भर...

5242
टूटे हुए दिल भी,
धड़कते है उम्र भर...     
चाहे किसी की यादमें,
या फिर किसी फ़रियादमें...

5243
खुदको समेटके,
खुदमें सिमट जाते हैं हम...
एक याद उसकी आती है,
फिरसे बिखर जाते हैं हम...

5244
कह दो ना इस दर्दको,
तुम्हारी तरह बन जाये...
ना मुझे याद करें,
और ना मेरे करीब आये...

5245
जलने वाले की दूआसे ही,
सारी बरकत हैं...
वरना अपना कहने वाले तो,
याद भी नही करते.......

25 December 2019

5236 - 5240 जिंदगी मेहरबान वक्त आँसु सवाल मासूमियत रोशनी हौंसले लौटना शायरी


5236
मेहरबान होके,
बुला लेना मुझको...
मैं गया वक्त नहीं,
जो लौटकर नहीं आए...!

5237
बुलाते रह जाते है,
बुलाने वाले...
फिर कब लौटकर आते है,
छोड़कर जाने वाले.......

5238
एक आँसु भी गिरता है,
तो लोग हजार सवाल पुछते है;
बचपन लौट आ,
मुझे खुलके रोना है.......

5239
जिंदगी वहीं लौटना चाहती है,
जहां दुबारा जाना मुमकिन नहीं होता;
जैसे बचपन मासूमियत,
पुराना घर, पुराने दोस्त...

5240
रोशनी मुकद्दरमें हो,
तो अंधेरे लौट ही जाते है;
हौंसले बुलंद हो,
तो रास्ते फिर खुल ही जाते है...!

24 December 2019

5231 - 5235 दिल चाह मोहब्बत तकल्लुफ़ सितम रहगुज़र दर्द भीड लौटना शायरी


5231
तुम लौटके आनेका,
तकल्लुफ़ मत करना...
हम एक मोहब्बतको,
दोबारा नहीं करते.......

5232
मिज़ाज़ अच्छा है आज हमारा,
सितम करना है तो लौट आओ...!

5233
तुम्हें पसंद थी ना,
शायरियाँ मेरी...
सुनो लौट आओ,
कुछ लिखा है तुम्हारे लिये...!

5234
बैठे है रहगुज़र पर,
दिलका दीया जलाये...
शायद वो दर्द जाने,
शायद वो लौट आये...!

5235
तैरता हुआ कागज मेरा,
लौट आया वापस;
उस किनारे पर भीड बहुत थी,
उनके चाहने वालोकी.......

23 December 2019

5226 - 5230 दिल धडकन यार ताल्लुकात आदतें हुस्न तारीफ दिवाना महफिल शायरी


5226
ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो,
कुछ आदतें बुरी भी सीख ले गालिब...
ऐब हों तो,
लोग महफ़िलों में नहीं बुलाते...!

5227
अगर दे तु हमको,
अपने हुस्नकी तारीफका एक मौका...
कसमसे,
पूरी महफिलको तेरा दिवाना ना कर दुँ,
तो लानत है मैरी शायरीपर.......!

5228
दिल, तेरी हर धडकनसे निकले,
दुआ मेरे यारके लिए...
महफिलसे उठने तक करूँगी,
उसकी हर तरह खातिर...
                                               भाग्यश्री

2529
एक महफ़िलमें,
कई महफ़िलें होती हैं शरीक...
जिसको भी पाससे देखोगे,
अकेला होगा.......!

5230
लौट आये हम,
शायरोकी महफ़िलमें...
पता तो चले हमारे बाद,
कितने दिवाने और गए यहाँ...!

5221 - 5225 दिल लफ्ज दहलीज घायल ज़ुबान तन्हाई फुरसत वक्त मुद्दत आरज़ू नज़्म महफिल शायरी


5221
लफ्जोकी दहलीजपर,
घायल ज़ुबान है...
कोई तन्हाईसे तो,
कोई महफ़िलसे परेशान है...

5222
फुरसत निकालकर आओ,
कभी हमारी महफ़िलमें...
लौटते वक्त दिल नही पाओगे,
अपने सीनेमें.......!

5223
बड़ी मुद्दतोंमें सीखा था हमनें,
तन्हा जीने का हुनर...
आप ने आकर फिर,
महफ़िलोंकी आरज़ू जगा दी...!

5224
मेरी महफ़िलमें नज़्मकी,
इरशाद अभी बाकी है...
कोई थोड़ा भीगा है,
अभी पूरी बरसात बाकी हैं...!

5225
महफ़िल में जो हमे,
दाद देने से कतराते हैं...
सुना है तन्हाईयोंमें वो,
हमारी शायरी गुनगुनाते हैं...!

22 December 2019

5216 - 5220 दिल ज़िंदगी मौजूदगी पल खत डोर रिश्ता ख्वाहिश कत्ल महसूस शायरी


5216
पढ लेते हो, जब खत मेरा,
खिंच लेते हो दिल;
जाने कौनसी डोर है जो दिखती नही,
पर महसूस बेपनाह होती है.......!
                                                संदीप कदम

5217
किसी से रिश्ता क्या है,
ये हमें मालूम हो जरुरी तो नहीं...
हाँ उस रिश्ते में कितना अपनापन है,
ये महसूस होना जरुरी है.......!

5218
कुछ ख्वाहिशोंका,
कत्ल करके मुस्कुरा दो...
ज़िंदगी खुद खुद,
बेहतर हो जायेगी...!

5219
किसीकी कमी जब,
महसूस होने लगे...
तो समझो ज़िंदगीमें उसकी मौजूदगी,
बहुत .गहरी हो चुकी है.......!

5220
फिसलती ही चली गई,
एक पल भी रुकी नहीं...
अब जा के महसूस हुआ,
रेत के जैसी है जिंदगी...

21 December 2019

5211 - 5215 प्यार दुनिया तन्हा शराब क़दम चहेरे दुआ खुश दर्द एहसास महफ़िल शायरी


5211
मैं बैठूंगा जरूर महफ़िलमें,
पर पीऊंगा नहीं...
मेरा ग़म मिटा दे,
इतना शराबमें दम नहीं...!

5212
हम तो आज भी,
अपने हुनर में दम रखते हैं...
उड़ जाते हैं रंग लोगोंके जब,
हम महफ़िमें क़दम रखते हैं...!

5213
बस एक चहेरेने,
तन्हा कर दिया हमें...
वरना हम खुद भी,
एक महफ़िल हुआ करते थे कभी...!

5214
महफ़ि थी दुआओं की,
तो मैंने भी एक दुआ मांग ली...
मेरे अपने सदा खुश रहें,
मेरे साथ भी मेरे बाद भी...!

5215
भरी महफ़िलमें तन्हा,
मुझे रहना सिखा दिया l
तेरे प्यार ने दुनियाको,
झूठा कहना सिखा दिया l
किसी दर्द या ख़ुशीका,
एहसास नहीं है अब तो l
सब कुछ ज़िन्दगीने,
चुपचाप सहना सिखा दिया ll

20 December 2019

5206 - 5210 दिल इश्क फरेब सच जख्म गुनहगार क़ातिल कत्ल ख्वाहिश उम्र जिंदगी महफ़िल शायरी


5206
फरेबकी महफ़िल थी,
और मै सच बोल बैठा...
नमक के शहरमें,
अपने जख्म खोल बैठा...

5207
मुझे भी शामिल करो,
गुनहगारों की महफ़िलमें...
मैं भी क़ातिल हूँ,
मैंने भी अपनी ख्वाहिशोंको मारा है...

5208
महफ़िल में चल रही थी,
हमारे कत्ल की तैयारी;
हम पहुँचे तो बोलें,
बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी...

5209
शायर तो पहलेसेही था,
रात और दिन कभी देखा नही...
जिंदगीकी बोझ से मुख्तलिफ होकर,
कभी महफ़िल सजाई कभी तनहाई...

5210
खूब कमाल करते है,
इश्क करनेवाले भी...
महफ़िल में चर्चे अजनबीके करते है,
और दिलमे पर्चे अपने महबूबके पढ़ते है...

19 December 2019

5201 - 5205 मंजर इश्क याद चाहत अल्फ़ाज़ दर्द बेरुखी आँख किताब महफ़िल शायरी


5201
तुम्हारी याद तुम्हारी चाहत,
शायरीके अल्फ़ाज़ बन गये...
भरी महफ़िलमें भी लोग,
मेरे दर्दको वाह - वाह कह गये...!

5202
भरी महफ़िलमें पूछा गया,
इश्क क्या है...
लोग किताबोंमें ढूंदने लगे,
और हमारी नजर तुमपर जा टिकी...!

5203
ना ये महफ़िल अजीब है, ना ये मंजर अजीब है;
जो उसने चलाया, वो खंजर अजीब है;
ना डूबने देता है, ना उबरने देता है;
उसकी आँखोंका वो समंदर अजीब है...!

5204
हजारो महफ़िल है,
लाखोके मेले हैं...
पर जहाँ तू नहीं वहाँ,
हम बिल्कुल अकेले हैं...

5205
देखी है बेरुखीकी,
आज हमने इन्तेहाँ...
हमपे नजर पड़ी तो,
वो महफ़िलसे उठ गए...

18 December 2019

5196 - 5200 बेवजह बेहिसाब दुश्मन बुराई रिश्ते मुकाबला जवाब लिबास शौक़ कफ़न वक़्त शायरी


5196
बेवक़्त, ...
मुस्कुरा देता हूँ;
आधे दुश्मनो को तो,
यूँ ही हरा देता हूँ.......!

5197
खुदकी तरक्कीमें इतना,
समय लगा दो...
की किसीकी बुराई,
का क़्त ही ना मिले...!

5198
अगर वो याद नही करते,
तो आप कर लीजिए...
रिश्ते निभाते वक़्त,
मुकाबला नही किया जाता...!

5199
जब वक़्त जवाब देता है...
गवाहो की जरूरत नहीं होती है...

5200
जो लिबासोको बदलनेका,
शौक़ रखते थे कभी
आख़री वक़्त कह पाए कि,
ये कफ़न ठीक नही ।।