5281
दस्तकभी
ना दी,
तेरे दरवाजेपे हमने...
और उम्रभी गुज़ार दी,
तेरी चौखटपर.......
5282
इक झलक देखलें तुमको,
तो चले जाएँगे...
कौन आया हैं
यहाँ,
उम्र बिताने के लिए.......
5283
बस तुम कोई,
उम्मीद दिला दो
मुलाकातकी,
फिर इन्तजार तो हम,
सारी उम्र कर
लेंगें.......
5284
हम भी बरगदके,
दरख़्तोंकी
तरह हैं...
जहाँ दिल लग
जाए वहाँ,
ताउम्र खड़े रहते
हैं.......!
5285
चार दिनोंकी उम्र मिली
हैं,
फ़ासले जन्मोंके...
इतने कच्चे रिश्ते क्यूँ
हैं,
इस दुनियामें अपनोके.......