11 January 2020

5311 - 5315 दिल कमाल क़ुबूल मुहब्बत मुकम्मल अदा फुरसत नफरत शायरी


5311
इंसान बहुत कमालका हैं...
पसन्द करे,
तो बुराई नही देखता;
नफरत करे,
तो अच्छाई नही देखता...

5312
दिलमें नफरत रखकर,
मस्जिदमें नही जाया करते;
वो सजदे साफ कपड़ोको नही,
दिलको देखकर क़ुबूल करता हैं...

5313
मुहब्बत और नफरत,
सब मिल चुके हैं मुझे...
अब मैं तकरीबन,
मुकम्मल हो चुका हूँ...!

5314
कुछ इस अदासे निभाना हैं,
किरदार मेरा मुझको;
जिन्हें मुहब्बत ना हो मुझसे,
वो नफरत भी ना कर सके...!

5315
मोहब्बत करनेसे,
फुरसत नहीं मिली यारों...
वरना हम करके बताते,
नफरत किसको कहते हैं...!

10 January 2020

5306 - 5310 मुहब्बत मुस्कुराहट लफ्ज़ किस्सा नजरअंदाज अहमियत शर्मिंदा नफरत शायरी


5306
तुझसे नफरत,
बहुत जरुरी थी...
ये करते तो,
मुहब्बत हो जाती...!

5307
मत पुछो की,
मेरा कारोबार क्या हैं...
मुस्कुराहटकी छोटीसी दुकान हैं,
नफरतके बाजारमें.......!

5308
आओ नफरतका किस्सा,
दो लफ्ज़ोमें तमाम करें;
मुहब्बत जहाँ भी मिले,
उसे झुकके सलाम करें...!

5309
सके नफरतके बदलेमें,
नफरत उसे भी जो देते...
तो एहमियत बढ जाती,
उसके नफरतकी...!
नजरअंदाज करके हमने,
उसके नफरतको सस्ता कर दिया...!!!

5310
नफरत करके क्यो बढ़ाते हो,
अहमियत किसीकी...
माफ करके शर्मिंदा करनेका,
तरीका भी तो कुछ बुरा नहीं...!

8 January 2020

5301 - 5305 दिल दर्द जमाने फ़िक्र उम्र हसीन बुराई आँख नशा नाम तमाम शायरी


5301
कौन कैसा हैं,
ये ही फ़िक्र रही तमाम उम्र...
हम कैसे हैं,
ये कभी भूलकरभी नही सोचा...!

5302
तमाम उम्र जिसकी,
उंगलियाँ छू ना सका मैं...
वो चूड़ी वालेको,
अपनी कलाई थमा देती हैं...

5303
हर एक हसीन चेहरेमें गुमान उसका था,
बसा कोई दिलमें ये मकान उसका था...
तमाम दर्द मिट गए मेरे दिलसे लेकिन,
जो मिट सका वो एक नाम उसका था...!

5304
तमाम शराबें पी ली थी,
इस जमानेकी मगर...
तेरी आँखोंमें झाँका तो जाना,
कि ये नशा भी क्या चीज़ हैं...!

5305
सम्भलकर किया करो,
लोगोसे बुराई मेरी...
तुम्हारे तमाम अपने,
मेरे ही मुरीद हैं.......!

6 January 2020

5296 - 5300 दुनिया जादू यक़ीन हक़ीक़त शक़ ख़बर खफा दुश्मन आँसु शरारत मंझिल उम्र आँख शायरी


5296
एक उम्र वो थी की,
जादू पर भी यक़ीन था...
एक उम्र ये हैं की,
हक़ीक़तपर भी शक़ हैं...!

5297
फ़ासलोंको ख़बर हो चुकी थी;
नज़दीकियोंकी उम्र हो चली हैं...

5298
आँखे जो आपको समझ सके,
वहीं अपने हैं l
वरना खूबसूरत चेहरे तो,
दुश्मनोंके भी होते हैं ll

5299
जिस दिन बंद कर ली हमने आँखें,
कई आँखोंसे उस दिन आँसु बरसेंगे;
जो कहते हैं के बहुत तंग करते हैं हम,
वही हमारी एक शरारतको तरसेंगे...

5300
मंझिल तेरी यहीं थी,
पर उम्र लगाई तूने यहाँ आते आते...
क्या मिला तुझे दुनियासे खफा हो के,
अपनोंनेही जलाया तुझे जाते जाते...

5 January 2020

5291 -5295 आँख तन्हाई नशीली बेहिसाब लफ्ज़ जहर खामोशियाँ निकाह साथ उम्र शायरी


5291
श्क़का उम्रसे,
नही कोई लेना-देना साहब...
ये वो शै है,
ज़ितनी पुरानी,
उतनी नशीली होती हैं...!

5292
इश्क़की उम्र नहीं होती,
ना ही दौर होता हैं;
इश्क़ तो इश्क़ हैं,
जब होता हैं...
बेहिसाब होता हैं...!

5293
माहौल कुछ ऐसा,
बना तेरे मेरे दरमियाँ...
लफ्ज़ोने जहर पी लिया,
और खामोशियोंकी उम्र बढ गई...

5294
तन्हाई,
तू अब निकाह करले मुझसे...
जब उम्रभर साथ ही रहना हैं,
तो चल जमानेकी,
ये रस्मे भी अदा करलें.......

5295
एक उम्रके बाद,
उस उम्रकी बातें...
उम्रभर याद आती हैं;
पर वह उम्र फिर उम्रभर नहीं आती...

4 January 2020

5286 - 5290 ज़िंदगी ज़माना मंज़र फरेब मुस्कुराहट खंजर तज़ुर्बे किताबें सबक उम्र शायरी


5286
उम्र छोटी हैं, तो क्या...
ज़िंदगीका हर एक मंज़र देखा हैं;
फरेबी मुस्कुराहटें देखी हैं,
बगलमें खंजर देखा हैं.......

5287
तज़ुर्बे ना पूछो ज़िंदगीके,
उम्र शर्मिंदा हो जाएगी...

5288
कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर,
चुन लेते हैं हम...
और फिर पूरी उम्र गाँठ बाँधनेमें ही,
निकल जाती हैं.......

5289
एक उम्रसे तराश रहा हूँ ख़ुदको,
कि हो जाऊं लोगोंके मुताबिक़;
पर हर रोज़ ये ज़माना मुझमें,
एक नया ऐब निकाल लेता हैं...

5290
सिखा सकी,
जो उम्र भर तमाम किताबें;
करीबसे कुछ चहरे पढे और,
जाने कितने सबक सिख लिए...!

5281 - 5285 दिल दस्तक दुनिया चौखट झलक उम्मीद मुलाकात इन्तजार दरख़्त फ़ासले उम्र शायरी


5281
दस्तकभी ना दी,
तेरे दरवाजेपे हमने...
और उम्रभी गुज़ार दी,
तेरी चौखटपर.......

5282
इक झलक देखलें तुमको,
तो चले जाएँगे...
कौन आया हैं यहाँ,
उम्र बिताने के लिए.......

5283
बस तुम कोई,
उम्मीद दिला दो मुलाकातकी,
फिर इन्तजार तो हम,
सारी उम्र कर लेंगें.......

5284
हम भी बरगदके,
दरख़्तोंकी तरह हैं...
जहाँ दिल लग जाए वहाँ,
ताउम्र खड़े रहते हैं.......!

5285
चार दिनोंकी उम्र मिली हैं,
फ़ासले जन्मोंके...
इतने कच्चे रिश्ते क्यूँ हैं,
इस दुनियामें अपनोके.......

2 January 2020

5276 - 5280 लम्हा रिश्तों उम्मीद मोहब्बत उम्र शायरी


5276
बितानी तो एक उम्र है,
तेरे बिना...
और गुजरता तो एक,
लम्हा भी नहीं......

5277
रात बाक़ी थी,
जब वो बिछड़े थे...
कट गई उम्र,
रात बाक़ी है.......

5278
पत्तों सी हो गई है,
रिश्तोंकी उम्र...
आज हरे, कल पीले,
परसों सूखे.......

5279
उम्मीदोंके ताले,
पड़े के पड़े रह गये...
तिजोरी उम्रकी,
जाने कब ख़ाली हो गई...

5280
मोहब्बतसे बाज जाओ,
मोहब्बत करने वालो...
मैने एक उम्र गुज़ारी है,
मिला कुछ भी नही.......

1 January 2020

5271 - 5275 इश्क़ बात समझ दुश्मनी मुफ़्त बेपनाह साथ पल नजर वादा दाग उम्र गुनाह शायरी


5271
ये बात समझनेमें,
उम्र लग गई कि...
बेगुनाह होना भी,
एक गुनाह है...

5272
दुश्मनी हो जाती है,
मुफ़्तमें सैकड़ोंसे साहब...
इंसानका बेहतरीन होना भी,
एक गुनाह है.......

5273
चल एक खूबसूरत,
गुनाह कर लें...
साथ दो पलका सही,
इश्क़ बेपनाह कर लें...!

5274
बेगुनाह कोई नहीं,
सबके राज होते है;
किसीके छुप जाते है,
किसीके छप जाते है...

5275
हर नजरमें मुमकिन,
नहीं है बेगुनाह रहना...
वादा ये करें की खुदकी,
नजरमें बेदाग रहें.......!

5266 - 5270 इश्क़ बात मुहब्बत होश सुर्ख लब रुखसार नज़रें शबाब शराब महफिल मयखाने शायरी


5266
मुहब्बतसे गुजरा हूँ,
अब मयखानेमें जाना है;
दोनोंका असर एक ही है,
बस होश ही तो गवाना है...

5267
ये सुर्ख लब, ये रुखसार,
और ये मदहोश नज़रें...
इतने कम फासलों पर तो,
मयखाने भी नहीं होते.......!

5268
कभी मंदिरोंमें,
इश्क़की बातें सुनी मैंने...
मयखानोंमें हर तरफ,
इश्क़के ही चर्चे थे...

5269
मयखानेमें अब ऐसी बात नहीं...
तेरे शबाबसी बात राबमें नहीं...!

5270
कई महफिलोंमें गया हूँ,
हजारों मयखाने देखे...
तेरी आँखोंसा शाकी कहीं नहीं,
गुजरें कहीं जमाने देखे...