3 April 2020

5676 - 5680 खुशियाँ गम इम्तिहान लाजवाब ग़ज़ल कसूर मोहब्बत प्यार बेहिसाब शायरी


5676
कभी है ढेरों खुशियाँ तो,
कभी गम बेहिसाब हैं...
इम्तिहानोंसे भरी जिन्दगी,
इसी लिए लाजवाब हैं.......

5677
बेहिसाब हसरतें पालिए l
जो मिला हैं उसे सम्भालिए ll

5678
एक ग़ज़ल तुम्हारे लिए,
जरूर लिखेंगे...
बेहिसाब उसमें,
तुम्हारा कसूर लिखेंगे...

5679
हवा चुरा ले गयी,
मेरी शायरीकी किताब...
देखो आसमां पढ़के,
रो रहा हैं बेहिसाब...

5680
हम आपकी मोहब्बतका,
क्या खिताब दे,
करते हैं इतना प्यार की,
क्या हिसाब दे.......!

2 April 2020

5671 - 5675 दिल मोहब्बत हिचकी शिकायत साँस जहर हिसाब शायरी


5671
हिसाब अपनी मोहब्बतका,
मैं क्या दूँ...
तुम अपनी हिचकियोंको भी,
कभी गिना करो.......

5672
कैसे करूँ मैं तुम्हारी,
यादोंकी गिनती...
साँसोंका भी कोई,
हिसाब रखता हैं क्या...!

5673
शिकायतोकी पाई पाई,
जोड़कर रखी थी मैंने...
उसने गले लगाकर,
सारा हिसाब बिगाड़ दिया...

5674
जहरका भी अज़ीब हिसाब हैं,
मरने के लिए ज़रासा...
मगर जिंदा रहने के लिए,
बहुत सारा पीना पड़ता हैं...

5675
मुद्दतें हो गयीं,
उनसे हिसाब किये...
क्या पता कितने रह गये हैं,
उनके दिलमें हम.......

31 March 2020

5666 - 5670 दिल वजह सुंदर गलती नकाब लफ्ज़ दुनिया वफा गवाही अदा सितारे चाँद शायरी


5666
मत पुछ मेरे जागनेकी वजह,
-चाँद...
तेरी ही हमशक्ल हैं वो,
जो मुझे सोने नहीं देती...!

5667
बात चली चाँदसे सुंदर कौन हैं...
हम गलतीसे गुलाब कह बैठे;
झुंझलाए वो इस कदर,
झटकेसे नकाब उठा बैठे...!

5668
कहाँसे लाऊँ वो लफ्ज़,
जो सिर्फ तुझे सुनाई दे...
दुनिया देखे अपने चाँदको,
मुझे बस तू ही दिखाई दे...!

5669
मेरी वफाकी गवाही,
सितारे देते रहें...
बस मेरे चाँदको ही,
मुझपें यकीन ना आया...

5670
एक अदा आपकी दिल चुरानेकी,
एक अदा आपकी दिलमें बस जानेकी...
चेहरा आपका चाँद और,
जिद हमारी चाँदको पानेकी.......!

29 March 2020

5661 - 5665 दिल वफ़ा याद मुश्किल होसला आदत सितम इंतिहा गैर क़ाबिल सितम शायरी


5661
पास होकर सितम करना तो,
आदत थी तुम्हारी...
अब यादोमें रहकर क्यों,
जीना मुश्किल करते हो.......

5662
सारे सपने तोड़कर बैठे हैं,
दिलका अरमान छोड़कर बैठे हैं;
ना कीजिये हमसे वफ़ाकी बातें,
अभी-अभी दिलके टुकड़े जोड़कर बैठे हैं...

5663
हर गमने, हर सितमने,
नया होसला दिया...!
मुझको मिटाने वालोने,
मुझको बना दिया.......!

5664
सितमकी इंतिहापर,
चल रही हैं ये दुनिया;
किस ख़ुदापर,
चल रही हैं...?

5665
गैरोंपें हो रही हैं,
हज़ारों नवाज़िशें...
अफ़सोस हम सितमके भी,
क़ाबिल नहीं रहे.......

5656 - 5660 प्यार ज़िन्दगी ज़ख्म मोहब्बत ज़ुर्म बेरुखी बंदगी सितम शायरी


5656
हिसाब-किताब हमसे पूछ,
अब -ज़िन्दगी...
तूने सितम नही गिने,
तो हमने भी ज़ख्म नही गिने...!

5657
जब भी बही खाते निकलेंगे,
तेरे मेरे क़र्ज़के...
तुझपें मेरी मोहब्बत उधार निकलेगी,
और मुझपें तेरे सितम.......!

5658
मुझपर तू जो सितम करती हैं,
बेवफ़ा समझकर...
मैं भुला देता हूँ वो सब कुछ,
तुझे खुदा समझकर.......!

5659
कितने सितम करोगे,
इस टूटे हुए दिल पर...
थक जाओ तो बताना ज़रूर,
मेरा ज़ुर्म क्या था.......

5660
सितमको हमने बेरुखी समझा,
प्यारको हमने बंदगी समझा;
तुम चाहे हमे जो भी समझो,
हमने तो तुम्हे अपनी ज़िन्दगी समझा ll

28 March 2020

5651 - 5655 नाराजगी ग़ज़ल फ़िक़र ज़माने ज़ुल्म ज़ख्म साथ सितम शायरी


5651
नाराजगीका सितम,
इस तरह छाया हुआ हैं की...
समजमें नही रहा हैं,
वो हमसे नाराज हैं या हम उनसे...

5652
ग़ज़लका शेर तो होता हैं,
बस किसी कके लिए;
मगर सितम हैं कि,
सबको सुनाना पड़ता हैं...!

5653
किसे फ़िक़र हैं ज़मानेके,
ज़ुल्मो सितमकी...
दर्द अच्छे लगते हैं,
जब वो ज़ख्मोपें हाथ रखते हैं...

5654
सितम पर सितम,
कर रहे हैं वह मुझपर,
मुझे शायद अपना,
समझने लगे हैं...!

5655
करमके साथ सितम भी,
बलाके रक्खे थे l
हर एक फूलने,
काँटे छुपा के रक्खे थे ll

25 March 2020

5646 - 5650 प्यार जिंदगी मौत उम्मीद बात चाहत महबूब धड़कन तन्हाई जुदाई वफ़ा शायरी


5646
कभी कभी वो,
मेरे बारेमें सोंचेगी ज़रूर...
के हासिल होनेकी उम्मीद भी नहीं,
फिर भी वफ़ा करता था.......!

5647
किसी और के बाहोंमें रहकर,
वो हमसे वफ़ाकी बात करते हैं...
ये कैसी चाहत हैं यारों,
वो बेवफ़ा हैं जानकर भी...
हम उन्हींसे ही प्यार करते हैं...!

5648
देखके तेरी आँखोंमें,
पल पल जिया हूँ मैं;
तुझे देख किसीके बाहोंमें,
हर पल मरा हूँ मैं;
साथ तेरा जब तक था,
जिंदगीसे वफ़ा मैं करता था;
अब साथ नही जब तेरा,
मैं वफ़ा मौतसे करता हूँ...

5649
मेरे अलावा किसी और को,
अपना महबूब बनाकर देख ले...
तेरी हर धड़कन कहेगी,
उसकी वफ़ामें कुछ और बात थी...

5650
तेरे होते हुए भी तन्हाई मिली हैं,
वफ़ा करके भी देखो बुराई मिली हैं,
जितनी दुआ की तुम्हे पाने की...
उससे ज़यादा तेरी जुदाई मिली हैं...

23 March 2020

5641 - 5645 मोहब्बत फ़िदा जिस्म खिलौने शिकायत वादा साहिल प्यास बेवफ़ाई वफ़ा शायरी


5641
बेवफ़ाईपें तेरी जी हैं फ़िदा...
क़हर होता जो बा-वफ़ा होता...
                           मीर तक़ी मीर

5642
मैं सोचती हूँ कि,
इक जिस्मके पुजारीको,
मेरी वफ़ाने वफ़ाका,
सुहाग क्यूँ समझा...
नरेश कुमार शाद

5643
बेवफ़ा कहनेकी शिकायत हैं,
तो भी वादा-वफ़ा नहीं होता...
                      मोमिन ख़ाँ मोमिन

5644
तेरी वफाओंका समन्दर,
किसी और के लिए होगा...
हम तो तेरे साहिलसे,
रोज प्यासे ही गुजर जाते हैं...

5645
मोहब्बत कर सकते हो तो,
खुदासे करो...
मिट्टीके खिलौनोंसे कभी,
वफ़ा मिलती नहीं.......!

21 March 2020

5636 - 5640 दिल मोहब्बत याद क़रार तसल्ली हाल अंजाम सज़ा एहसान दुनिया वफ़ा शायरी


5636
अंजाम--वफ़ा ये हैं,
जिसने भी मोहब्बत की...
मरनेकी दुआ माँगी,
जीनेकी सज़ा पाई...
                        नुशूर वाहिदी

5637
ख़ुद वफ़ा क्या...
वफ़ा का बदला क्या...
लुत्फ़ एहसान था,
अगर करते.......
फ़ानी बदायुनी

5638
दुनियाके सितम याद,
अपनीही वफ़ा याद;
अब मुझको नहीं कुछभी,
मोहब्बतके सिवा याद...!
                   जिगर मुरादाबादी

5639
हाल सुनकर मेरा,
वो यूँ बोले...
और दिल दीजिए,
वफ़ा कीजे...!
जिगर बरेलवी

5640
जफ़ासे हैं,
मेरे दिलको क़रार...
तसल्ली,
वफ़ासे होती हैं...
         रियाज़ ख़ैराबादी

20 March 2020

5631 - 5635 नीलाम दास्ताँ कमबख्त ख़्वाहिश खातिर इंतिज़ार दिल्लगी वफ़ा शायरी


5631
नीलाम कुछ इस कदर हुए,
बाज़ार--वफ़ामें हम आज...
बोली लगाने वाले भी वही थे,
जो कभी झोली फैलाकर,
माँगा करते थे हमींसे...


5632
मेरी दास्ताँ--वफ़ा,
बस इतनी सी हैं...
उसकी खातिर,
उसीको छोड़ दिया...

5633
इच्छाएँ बड़ी बेवफ़ा होती हैं,
कमबख्त पूरी होते ही...
बदल जाती हैं.......

5634
वफ़ा कर तो,
हमारी वफ़ाकी दाद ही दे...
तिरे फ़िराक़को हम,
इंतिज़ार कहते हैं...
रशीद कौसर फ़ारूक़ी

5635
जाने कैसी दिल्लगी थी,
उस बेवफासे.......
कि मैने आखिरी ख़्वाहिशमें भी,
उसकी फ़ा मांगी.......!

19 March 2020

5626 - 5630 दिल नशा इश्क होश ख्याल वाकिफ उसूल वादे खफ़ा वफ़ा शायरी


5626
दो दिलोंके दरमियान,
एक नशा हैं इश्क...
जिसे पहले होश आए,
उसे बेवफ़ा कहते हैं...

5627
तेरा ख्याल दिलसे,
मिटाया नहीं अभी...
बेवफ़ा मैंने तुझको,
भुलाया नहीं अभी...

5628
वो बेवफ़ाईके उसूलोसे,
वाकिफ नहीं हैं...
बिछड़नेके बाद,
ख़ैरियत नहीं पूछी जाती...

5629
बेकार ही में हम,
तुमसें खफ़ा होते हैं;
कब पुरे तुमसें,
वादे वफ़ाके होते हैं...

5630
चलो यूँ ही सही,
हम बेवफ़ा हैं...
मगर ये तो बताएँ,
आप क्या हैं.......?