5821
तकल्लुफ
हैं इश्क़में,
नजरअंदाज करना...
तेरे दीदारकी ख्वाहिश,
गलीमें खींच लाती
हैं...!
5822
ये चेहरेकी खुशी,
सिर्फ तेरे इन्तजारकी
हैं...
क्यूंकि
दिलमें आज भी,
उम्मीद तेरे दीदारकी
हैं...!
5823
जब ख़ुदाने पूछी,
मुझसे मेरी तमन्नाएँ...
मैंन उनसे यहीं
कहाँ कि,
बस उनका दीदार
हो जाये...!
5824
बादशाह थे हम,
अपनी मिजाजके...
तेरे इश्क़ने तेरे दीदारका,
फ़क़ीर बना दिया.......
5825
नजरे चुराकर भी कोई
देखे,
तो जलता हैं
ये दिल...
अंधे थे तेरे
इश्क़में पर,
दीदारका
हक़ भी मेरा
ही था...
सागर