3 May 2020

5816 - 5820 दिल ज़िंदगी लफ्ज़ बात उदासियाँ कसूर आँख अश्क उदासी अदा उदासी शायरी



5816
कैसे एक लफ्ज़में,
बयां कर दूँ...
दिलको किस बातने,
उदास किया.......

5817
खरीद लेंगे,
सबकी सारी उदासियाँ;
सिक्के हमारे मिजाज़के,
चलेंगे जिस रोज...

5818
तेरा कोई कसूर,
नही ज़िंदगी...
ये उदासियाँ,
हमने खुद चुनी हैं...!

5819
खाली नहीं रहा कभी,
आँखोंका ये मकान...
सब अश्क बह गए तो,
उदासी ठहर गई.......

5820
छू ना पाया,
मेरे अंदरकी उदासी कोई,
मेरे चेहरेने,
बहुत अच्छी अदाकारी की...!

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