9 May 2020

5846 - 5850 दिल दुनिया नजरअंदाज रिवाज मोहब्बत कोशिश बहाने नजरअंदाज शायरी



5846
वो करता हैं नजरअंदाज,
तो बुरा मत मान ए दिल !
टूटकर चाहनेवालोंको सताना,
रिवाज हैं मोहब्बतका...!

5847
कोशिश यही रहती हैं कि,
हमसे कोई रूठे ना कभी...
मगर नजरअंदाज करनेवालोंको,
पलटकर हम भी नहीं देखते...

5848
आपकी नजरअंदाजीके,
खूब सारे बहानोंसे वाकिफ हैं हम...
पता नही हमारा दिल,
बहलानेकी आपकी पैरवीसे,
कितने दूर हैं हम.......
                                         भाग्यश्री

5849
तेरे आँखोंसे छलकती मदिरामें,
डुबना चाहती हूँ !
सबकी नजरोंसे तुम्हे,
चुराना चाहती हूँ !!
बस तुम्हे देखके तुम्हारी ही,
नजर उतारना चाहती हूँ !!!
भाग्यश्री

5850
दुनियाकी गंदी नजरसे,
नजरअंदाज करना सदी...
अब तो तू भी,
जवॉ हो गई हैं...!

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