7 May 2020

5831 - 5835 दिल याद मुहब्बत हमसफ़र आँखें इश्क तमन्ना आरजु नजर शायरी



5831
यादें उन्हींकी आती हैं,
जिनसे कुछ ताल्लुक हो;
हर शख्स मुहब्बतकी नजरसे,
देखा नही जाता...

5832
आँखें भी बोलती हैं,
मोहब्बतकी भाषा...
हमसफ़रकी नजरसे,
नजर मिलाकर तो देखो...!

5833
तुमने कहा था,
आँखभरके
देख लिया करो मुझे...
मगर,
अब आँख भर आती हैं,
तुम नजर नहीं आते हो...

5834
मदहोश नजरोमें,
इश्ककी चाहत उभर आई हैं l
मोहब्बतको छुपालूँ दिलमें,
आँखें तो हरजाई हैं ll

5835
तमन्नाओंको जिन्दा,
आरजुओंको जवाँ कर लूँ...
तुम नजर इधर करो,
तो मैं भी कुछ गुस्ताखियाँ कर लूँ...

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