15 February 2017

975 जिक्र महफ़िल नाम ग़ैर लब शायरी


975
जिक्र तेरा हुआ तो,
हम महफ़िल छोड़ आये फ़राज़।
हमे ग़ैरोंके लबपें...
तेरा नाम अच्छा नहीं लगता......

974 दिल बुरा बाज़ार मकान दिन शायरी


974
ये दिल बुरा ही सही,
सरे बाज़ार तो ना कहो फ़राज़।
आखिर तुमने इस मकानमें...
कुछ दिन गुजारे भी थे......

973 हजार दुआ माँग खुशनसीब शायरी


973
हजार दुआओंमें माँगकर भी,
वो हमारी ना हो सकी फ़राज़।
खुशनसीबने बिना मांगे ही,
उन्हें अपना बना लिया......

972 दिल गलत सुन इश्क़ आँख पलके शायरी


972
गलत सुना था की,
इश्क़ आँखोंसे होता हैं फ़राज़।
दिल तो वो भी ले जाते हैं...
जो पलके तक नहीं उठाते......

971 मुहब्बत अजीब कश्मकश धड़कन संभल जान शायरी


971
अजीब कश्मकशसी होती हैं,
मुहब्बतमें फ़राज़।
धड़कने संभलती नहीं
और जान निकलती नहीं......

14 February 2017

970 दिल चाह जुदा नाता टूटे जोड़े शायरी


970
दिलसे चाहने वाला कभी जुदा नहीं होता,
जो होता हैं वो अपना नहीं होता,
किसी टूटे हुए तो नाता जोड़ो,
जो टूटे हुए दिल जोड़े...
उससे बड़ा खुदा नहीं होता l

969 महबूब खुदा कबूल शायरी


उसने महबूब ही तो बदला है,
फिर ताज्जुब कैसा …
दुआ कबूल ना हो तो लोग,
खुदा तक बदल लेते है !!!

968


खूबसूरत "चेहरे"
तो बहुत देखे इस दुनिया में मगर....
खूबसूरत "दिल"
तलाशने में उमर गुजर गयी...!!

967


खिल भी सकते है
ये मसले कुचले हुए फूल.....
शर्त यह है की
सीने से लगाना होगा ।।

966


दिल तो आज भी
सस्ते है साहब ...
दौलत तो जिस्मों
पर खर्च होती है…

965


खतों से मीलों सफर करते थे
जज़्बात कभी...
अब घंटों बातें करके भी
दिल नहीं मिलते…

964


हिम्मत इतनी थी कि
समुन्दर भी पार कर सकते थे,
मजबूर इतने हुए कि
दो बूँद आँसुओं ने डुबो दिया…

963


 "बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता,
तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता…
जब बी देखता वो अपने हाथों को,
उसे हमारा ख़याल तो आया होता…"

962


"उनकी तस्वीर को सिने से लगा लेते हैं,
इस तरह जुदाई का गम मिटा देते हैं,
किसी तरह कभी उनका जिक्र हो जाये तो,
भींगी पलकों को हम झुका लेते हैं."

961


“दीवाने है तेरे नाम के
इस बात से इंकार नहीं
कैसे कहे कि तुमसे प्यार नहीं
कुछ तो कसूर है आपकी आखों का
हम अकेले तो गुनहगार नहीं ”

11 February 2017

960


रात हुई जब शाम के बाद,
तेरी याद आई हर बात के बाद,
हमने खामोश रहकर भी देखा,
तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद !

959


शाम होते ही
चराग़ों को बुझा देता हूँ…
दिल ही काफ़ी है
तेरी याद में जलने के लिए !

958


शक ना कर मेरी मुहब्बत पर पगली.......
अगर मै सबूत देने पर आया तो .....
तु बदनाम हो जायेगी...!!!

957


हमने लिया सिर्फ होंठोंसे
जो तेरा नाम…
दिल होंठो से उलझ पड़ा
कि ये सिर्फ मेरा है !

956


वादे  पे  वो  ऐतबार  नहीं करते
हम  जिक्र  मोहब्बत  सरे  बाजार  नहीं  करते
डरता है  दिल  उनकी  रुसवाई  से
और  वो  सोचते  हैं  हम  उनसे  प्यार  नहीं  करते ।।