14 May 2017

1315


समझ नही आ रहा किसकी सुनु
आँख कह रही सोने दे,
दिल कह रहा है

थोडा और रो लेने दे...!

13 May 2017

1314


ना कोई इजहार है,
ना कोई इकरार है,
फिर ना जाने क्यूं...

ये दिल इतना बेकरार है l

1313


दिल मजबूर हो रहा है
तुम से बात करने को,

बस जिद ये है कि
सिलसिले का आग़ाज़ तुम करो...

1312


मुझे अपनी मौत का,
तो कोई गम नहीं है लेकिन...
तेरे आशियां पे मरते,

तो कुछ और बात होती…....

1311


ऐ इश्क़ सुना था तू अँधा है...

फिर मेरे घर का रास्ता,
तुझे किसने बताया...?

12 May 2017

1310


एक अजीब सा मंजर नज़र आता है,
हर एक आँसूं समंदर नज़र आता हैं,
कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना,

हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता हैं…

1309


बड़ी अजीबो-गरीब हैं
नादाँ दिल की ख्वाहिश।
या रब मेरे !
अमल में कुछ भी नहीं और

दिल तलब्गार हैं जन्नत का।

1308


अपने हर आह की दास्तां अर्ज किया है हमने l
अपने हर जुर्म का बयां दर्ज किया है हमने ll

मुजरिम हुआ ऐ हुस्न, सूली पे लटका दो मुझे l
गुनाह कुबूल है मुझे, तुमसे इश्क किया है हमने ll

मेरे गजल सुबूत हैं, देख लो ऐ दिल के मालिक l
अपने हर आंसू की कीमत वसूल किया है हमने ll

तेरे दर पे मुझे कुछ न मिलेगा, ये जानकर भी l

इस दिल के सहारे तेरी बंदगी किया है हमने ll

1307


कैसा अजीब रिश्ता है
ये दिल आज भी
धोखे में हैं...
और

धोखेबाज आज भी दिल में....!!!

1306


प्रेम कोई व्यवहार थोड़े ही ना है,

कि तू करे,
तो ही मैं करुँ ?

9 May 2017

1305


आ, लिख दूं आज कुछ तेरे बारे में...
मुझे पता है,
तू रोज ढूंढती हैं,

खुद को मेरे अल्फाज़ो में . . . !

1304


वफ़ा करने से मुकर गया है दिल;
अब प्यार करने से डर गया है दिल !
अब किसी सहारे की बात मत करना;

झूठे दिलासों से भर गया है अब यह दिल !!

1303


नादानगी की हद तो देखो...,
मेरे सनम की.......

मुझे खोकर आजकल,
मेरे जैसा ढूँढ रही है !

1302


साक़ी को गिला है कि
उसकी बिकती नहीं शराब...

और एक तेरी आँखें हैं कि
होश में आने नहीं देतीं...

1301



रुठुंगी अगर तुजसे
तो इस कदर रुठुंगी की ,

ये तेरी आँखे मेरी एक
झलक को तरसेंगी !!

8 May 2017

1300


मुझे कोई प्यार करे...
ऐसी फिरयाद नही है मेरी

पर में सबसे प्यार करू...
ऐसा दिल जरूर दिया है रब ने...

1299


अर्थ लापता हैं
या फिर शायद शब्द खो गए हैं,

रह जाती है मेरी हर बात क्यूँ
इरशाद होते होते...

1298


क्या हुआ जो हमसफ़र ना बन सके,
दोस्त ही सही,

ये मोहब्बत भी ना जाने ...
कितने समझौते करवाती है . . .

1297


एक दिल मेरे दिल को ज़ख़्म दे गया
ज़िंदगी भर ना मिलने की कसम दे गया!
लाख फूलों में से चुना था एक फूल

जो काटो से भी गहरी चुबन दे गया !

1296


खुद से भी छुपाई है,
धड़कन अपने सीने की,

हम को जीना पड़ता है,
ख्वाईश कब है जीने की..!!