1756
मेरे दुश्मनतक मुझसे,
अब दूर रहने लगे हैं,
कहते हैं... इसने खुदही मोहब्बत कर ली,
इसका अब हम क्या बिगाड़े...!
1757
बस जाते हैं दिलमें,
इजाज़त लिए बगैर,
वो लोग जिन्हें हम,
ज़िन्दगीभर पा नहीं सकते...
1758
आँखे भिगोनी लगी हैं,
अब तुम्हारी बातें.......
काश तुम अजनबी ही रहते,
तो अच्छा होता.......
1759
टपक पडते हैं आँसु,
जब हमे किसीकी याद आती हैं,
ये वो बारिश हैं,
जिसका कोई मौसम नहीं होता...
1760
किसीने कहां आपकी आँखे बहुत खूबसूरत हैं !
मैने कह दिया कि,
बारिशके बाद अक्सर...
मौसम सुहाना हो जाता हैं.......!