एक ही विषय
पर 5 शायरोंका
अलग नजरिया...
आप उर्दू
शायरीकी महानताकी दाद देनेपर मज़बूर हो
जाएंगे.....
1- मिर्झा ग़ालिब: 1797-1869
3586
"शराब
पीनेदे मस्जिदमें बैठकर,
या वो जगह
बता जहाँ ख़ुदा
नहीं।"
इसका
जवाब लगभग 100 साल
बाद मोहम्मद इक़बालने दिया.....
2- मोहम्मद इक़बाल: 1877-1938
3587
"मस्जिद
ख़ुदाका घर
हैं, पीनेकी
जगह नहीं ,
काफिरके दिलमें जा, वहाँ
ख़ुदा नहीं।"
इसका
जवाब फिर लगभग
70 साल बाद अहमद फ़राज़ने दिया.....
3- अहमद फ़राज़: 1931-2008
3588
"काफिरके दिलसे
आया हूँ मैं
ये देखकर,
खुदा मौजूद हैं वहाँ,
पर उसे पता
नहीं।"
इसका
जवाब सालों बाद
वसी शाहने दिया.....
4- वसी शाह: 1976
3589
"खुदा
तो मौजूद दुनियामें हर जगह
हैं,
तू जन्नतमें जा
वहाँ पीना मना
नहीं।"
वसी साहबकी
शायरीका जवाब
साकीने दिया......
5- साकी: 1986-2018
3590
"पीता
हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलानेके
लिए,
जन्नतमें कौन
सा ग़म हैं इसलिए वहाँ पीनेमें मजा नहीं।"